बगीचा वाले हनुमान के समक्ष ली शपथ का पालन किया तो इस्तीफे के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं
शिवपुरी। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्पष्ट रूख के बाद नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा टल गया है। भाजपा के 22 और 7 निर्दलीय पार्षदों से ग्वालियर में वन-टू-वन चर्चा करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा के पक्ष में फैसला सुना दिया है। उन्होंने नपाध्यक्ष और पार्षदों से समन्वय बनाकर कार्य करने को कहा। श्री सिंधिया ने यह भी कहा कि नगर पालिका के मामले में अब पार्षद पति या महिला पार्षद के परिजनों की नहीं चलेगी। उन्हें नपा के मामले से दूर रहने को कहा। अध्यक्ष विरोधी पार्षदों को सांत्वना देते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि मैं हूं ना। प्रत्येक 6 माह में मैं आपके साथ शहर विकास पर चर्चा करूंगा। भाजपा जिलाध्यक्ष नगर पालिका की मॉनीटरिंग करेंगे और पार्षदों की समस्याओं का निराकरण करना उनका दायित्व है। इस तरह से नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा को अभयदान मिल गया है और उनकी कुर्सी अब बची रहेगी। ऐसी स्थिति में गेंद अब अध्यक्ष विरोधी पार्षदों के पाले में है, क्योंकि करैरा में बगीचा सरकार हनुमान मंदिर के समक्ष लगभग 20 पार्षद या उनके परिजन शपथ ले चुके हैं कि या तो अध्यक्ष को वे हटाने में सफल रहेंगे अथवा स्वयं पार्षद पद से इस्तीफा दे देंगे। श्री सिंधिया के फरमान के बाद अब अध्यक्ष विरोधी पार्षदों के समक्ष इस्तीफा देने के अलावा कोई अन्य विकल्प शेष नहीं है। सूत्र बताते हैं कि नगर पालिका के इस विवाद के निराकरण को नपाध्यक्ष के पाले में डालने में मुख्य भूमिका भाजपा जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव की रही है जिन्होंने श्री सिंधिया को समझाया है कि यह पूरी लड़ाई सिर्फ ज्यादा से ज्यादा अपने आर्थिक हित साधने पर केन्द्रित है। इस अवसर पर श्री सिंधिया के अलावा जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्र सिंह तोमर और भाजपा जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव भी उपस्थित थे जबकि विधायक देवेन्द्र जैन ने इस पूरे विवाद से अपने आपको दूर बनाए रखा है।
नगर पालिका में चल रहे गतिरोध को सुलझाने के लिए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा और निर्दलीय पार्षदों को मिलने के लिए 24 जून का समय दिया। इसके बाद नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा, उपाध्यक्ष सरोज व्यास सहित 29 पार्षद श्री सिंधिया से मिलने के लिए ग्वालियर गए। नपाध्यक्ष के विरोध में कांग्रेस पार्षद भी थे, लेकिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने निर्देश जारी किया कि यदि कोई भी पार्षद श्री सिंधिया से मिलने के लिए ग्वालियर गया तो उसके विरूद्ध अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी। ग्वालियर में श्री सिंधिया ने सभी पार्षदों को अलग-अलग मिलने के लिए बुलाया और प्रत्येक पार्षद को 3 से 5 मिनिट का समय दिया। बताया जाता है कि अध्यक्ष के समर्थन में लगभग 14 पार्षदों ने अपनी राय व्यक्त की जबकि 15 पार्षदों ने अध्यक्ष के विरोध में अपनी बात कही। उन्होंने अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार, अनियमितता और पक्षपात के आरोप लगाए तथा कहा कि नगर पालिका के कार्य में उनके पति का अवांछित हस्तक्षेप बढ़ रहा है। पार्षद विजय बिंदास ने कहा कि अध्यक्ष पति पार्षदों और कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे बारे में एक व्यक्ति से उन्होंने मुझे जूते मारने को कहा। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जबकि अध्यक्ष के समर्थन में पार्षद अरविन्द ठाकुर ने श्री सिंधिया से कहा कि उनके कार्यकाल में विकास के अनेक कार्य हुए हैं। सड़कें बनी हैं तथा जनसमस्याएं हल हुईं हैं। खास बात यह रही कि श्री सिंधिया ने साफ-साफ कहा कि यदि महिला पार्षद चुनाव जीत कर आई है तो उनके पति को नपा प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और उनका हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री सिंधिया ने निर्देश दिए कि सभी पार्षद मिलजुलकर काम करें और शहर विकास को प्राथमिकता दें। इस तरह से उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा और ना ही उन्हें पद से इस्तीफा देने को कहा जाएगा। भाजपा जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने कहा कि मैं स्वयं नगर पालिका के काम की प्रतिदिन मॉनीटरिंग करूंगा। प्रभारी मंत्री भी नगर पालिका के काम सुचारू रूप से हों इस पर ध्यान देंगे और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रत्येक 6 माह में बैठक कर नगर पालिका की गतिविधियों का आंकलन करेंगे।
अब पशोपेश में पड़े हुए हैं अध्यक्ष विरोधी पार्षद
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रूख के बाद नपाध्यक्ष विरोधी पार्षद पशोपेश में पड़े हुए हैं कि आखिर वह क्या करें। क्योंकि बगीचा वाले हनुमान मंदिर के समक्ष वह अध्यक्ष को हटाने की शपथ ले चुके हैं। साथ ही उन्होंने यह भी शपथ ली है कि यदि अध्यक्ष को हटाने में वह सफल नहीं रहे तो अपने पार्षद पद से इस्तीफा दे देंगे। एक अध्यक्ष विरोधी पार्षद ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अभी हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। नपाध्यक्ष को हटाने के लिए वह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से मुलाकात करने हेतु दिल्ली में डेरा डालेंगे। इसके बाद भी यदि अध्यक्ष नहीं हटीं तो वह पार्षद पद के अलावा भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे, जबकि एक अन्य अध्यक्ष विरोधी भाजपा पार्षद ने कहा कि अब वह अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार को खत्म करवाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे और इस हेतु पार्टी नेतृत्व पर दवाब डालेंगे। कुल मिलाकर नगर पालिका का मामला अभी थमा नहीं है। आने वाले दिनों में क्या घटनाक्रम घटित होते हैं यह देखने वाली बात रहेगी।