शिवपुरी। केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री और गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देशों पर वन विभाग ने शिवपुरी जिले के वन परिक्षेत्र बदरवास की रांछी बीट में लगभग 110 बीघा अतिक्रमित वन भूमि को मुक्त कराकर एक और बड़ी सफलता अर्जित की है। यह कार्यवाही पर्यावरण संरक्षण और वन माफियाओं के खिलाफ सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाती है। उक्त कार्रवाई उपवनमंडलाधिकारी करैरा आदित्य शांडिल्य के नेतृत्व में वन परिक्षेत्राधिकारी बदरवास रवि पटेरिया एवं कोलारस गोपाल सिंह जाटव, राजस्व निरीक्षक तथा स्थानीय पुलिस बल की संयुक्त उपस्थिति में की गई। यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण और वन माफियाओं के खिलाफ सरकार ने सरकार ने सख्त कार्रवाई का संदेश दिया है।
सिंधिया की सख्ती से प्रशासन हुआ सक्रिय
विदित हो कि कुछ समय पूर्व आयोजित दिशा समिति की बैठक में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने वनभूमियों पर हो रहे अवैध कब्जों पर गहरी चिंता जताई थी और प्रशासन को कड़े निर्देश दिए थे। परिणामस्वरूप, लगातार चल रही कार्रवाई में यह बड़ी भूमि पुनः वन विभाग के अधिकार में लाई गई है।
संगठित तरीके से हो रही कार्यवाही
आज के इस अभियान का नेतृत्व वनमंडलाधिकारी सुधांशु यादव के निर्देशन में किया गया। ग्राम कांठी-रांछी मार्ग से सटी उक्त भूमि पर मुरारी धाकड़, पर्वत सिंह धाकड़ और हरिचरण धाकड़ द्वारा वर्षों से अवैध रूप से खेती की जा रही थी। उनके विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम की धारा 80(अ) के तहत अपराध प्रकरण दर्ज कर नोटिस जारी किए गए और विधिसम्मत बेदखली की कार्रवाई की गई। ज्ञात हो कि केंद्रीय मंत्री सिंधिया के निर्देश पर ही मंगलवार को ही कोलारस क्षेत्र में 65 बीघा तथा कुछ दिन पूर्व 275 बीघा वन भूमि को भी अतिक्रमण से मुक्त किया जा चुका है। यह लगातार हो रही कार्रवाइयाँ सिंधिया की प्रतिबद्धता और जनउत्तरदायी सक्रियता का प्रमाण हैं।
संयुक्त बल और पाँच जेसीबी मशीनों की सहायता से सफल हुआ यह अभियान
आज की उक्त कार्रवाई के दौरान वन, राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों और अमले की मौजूदगी रही। अभियान का संचालन उपवनमंडलाधिकारी करैरा के नेतृत्व में वन परिक्षेत्राधिकारी बदरवास एवं कोलारस, राजस्व निरीक्षक तथा स्थानीय पुलिस बल की संयुक्त उपस्थिति में संपन्न हुआ। आज इस अवैध कब्जे को हटाए जाने के बाद जब्त लोहे की एंगल, तार एवं अन्य सामग्री को ज़ब्त किया गया और पाँच जेसीबी मशीनों की सहायता से पूरे क्षेत्र में अतिक्रमणरोधी ट्रेंच (गड्ढे) बनाए गए, जिनमें वन प्रजातियों के बीज बोए गए हैं, ताकि भूमि का प्राकृतिक स्वरूप पुनः स्थापित किया जा सके।
ग्रामीणों से वन्यजीव संरक्षण की अपील
कार्रवाई के दौरान ग्रामीणों को स्पष्ट रूप से समझाया गया है कि वे वन भूमि से दूर रहें और वन एवं वन्यजीव संरक्षण में भागीदार बनें। साथ ही यह भी चेताया गया कि स्वेच्छा से कब्जा नहीं हटाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।