पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग के लिये विशेषज्ञों की सेवाएं लेगा प्रशासन

MP DARPAN
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बाल कल्याण के लिए अन्य भाषाओं के जानकार करा सकते है पंजीयन
शिवपुरी। घर से भागे हुए एवं गुमशुदा अन्य राज्यों के बच्चे कई बार चाइल्ड लाइन, पुलिस एवं रेलवे पुलिस के माध्यम से बाल कल्याण समिति एवं न्यायालयों के समक्ष प्रस्तुत किये जाते है,किंतु उनकी भाषा को समझपाना बेहद कठिन होता है। मूक बधिर एवं अन्य भाषा बोलने वाले बच्चों की काउंसलिंग के लिये उस भाषा के जानकारों की आवश्यकता होती है।
उल्लेखनीय है यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा के लिये बने पॉक्सो कानून में पीडि़त बच्चे को आवश्यक होने पर दुभाषिया तथा अनुवादक के अलावा सपोर्ट पर्सन (सहायक व्यक्ति) उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही किशोर न्याय कानून में 16 से 18 वर्ष तक के बाल अपचारियों की अपराध बोध संबंधित मनोस्थिति का आंकलन करने के लिये मनोवैज्ञानिक, मनोसामाजिक एवं मनोचिकित्सक सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग की व्यवस्था तय की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा ऐसे द्विभाषा के जानकारों के चिन्हांकन की कार्यवाही प्रारंभ की है,जिन्हें साइन लैंग्वेज, गुजराती, मराठी, कन्नाड, तमिल जैसी भाषाओं की जानकारी है। जिन लोगों को हिंदी के अलावा अन्य किसी भी भाषा में संवाद कला आती है,वह अपना पंजीयन महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय में करा सकते है। आवश्यक होने पर इन अनुवादकों एवं दुभाषियों की सेवाएं प्रशासन द्वारा ली जाएंगी,जिसके लिये उन्हें निर्धारित पारिश्रमिक भी दिया जाएगा।

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