लगातार कर रहे हैं कमलनाथ सरकार पर हमला, निभा रहे हैं सशक्त विपक्ष की भूमिका
शिवपुरी। प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर जितने तीखे हमले भाजपा नहीं बोल रही उससे तीखे हमले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सरकार पर बोल रहे हैं। कमलनाथ सरकार को कठघरे में खड़े करने का वह कोई मौका नहीं छोड़ रहे। प्रदेश में मिलावटखोरों पर की गई कार्यवाही के बाद सिंधिया ने प्रदेश के बड़े नगरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में दो नगर निगम बनाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर को दो महापौरों की कोई आवश्यकता नहीं है। मिलावटखोरों पर की गई कार्यवाही पर भी सिंधिया ने सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि एक तरफ तो कार्यवाही की जाती है और दूसरी तरफ मिलावटखोरों को छोड़ दिया जाता है। सिंधिया के इस उग्र तेवर को देखकर कयास लगाए जा रहे हैं या तो वह अपनी सरकार से नाराज हैं अथवा वह बगावत की ओर बढ़ रहे हैं।
सिंधिया प्रदेश सरकार पर एक के बाद एक लगातार हमले बोल रहे है। सिंधिया के हमलों से सरकार भी असमंजस में पड़ जाती है। ग्वालियर में सिंधिया ने मिलावटखोरों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मंच से कहा कि प्रदेश में कई कहानियां सुन रहा हूं। मिलावट को रोकने के लिए छापे पड़ रहे हैं, लेकिन छापे के बाद मिलावटखोरों को छोड़ दिया जाता है। यह टिप्पणी उन्होंने उस समय की जबकि मंच पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट भी थे। श्री सिलावट को सिंधिया खेमे का माना जाता है। श्री सिंधिया ने कहा कि मिलावटखोरों के खिलाफ सरकार सख्ती नहीं कर रही है। उन्हें छोड़ा जा रहा है। सिंधिया ने स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए आपके आदेश के बगैर किसी मिलावटखोर को नहीं छोड़ा जाना चाहिए। सिंधिया एक ओर जहां प्रदेश सरकार पर हमला बोल रहे हैं वहीं वह प्रदेश का दौरा भी कर रहे हैं और हर दौरे में वह कोई न कोई ऐसी टिप्पणी करते हैं जिससे सरकार का संकट बढ़ रहा है। कर्जमाफी पर भी सिंधिया ने अपनी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने साफ साफ कहा कि हमने अपने अपने घोषणा पत्र में किसानों का 2 लाख रूपए तक का कर्ज माफ करने की बात कही थी, लेकिन किसानों का सिर्फ 50 हजार रूपए का कर्जा ही माफ हुआ है। सिंधिया के इस बयान का प्रदेश सरकार खण्डन नहीं कर पाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो उनकी बात का समर्थन किया था। अवैध रेत खनन के मुद्दे पर भी सिंधिया अपनी सरकार को घेर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि यह दुर्भाग्य है कि प्रदेश में हमारी सरकार है, लेकिन इसके बाद भी अवैध रेत खनन नहीं रूक पा रहा है जबकि हमने वायदा किया था कि अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। बाढ़ से किसानों की फसल की हुई तबाही और इसके बाद नुकसान के आंकलन के लिए हुए सर्वे पर भी सिंधिया ने सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि मैंने मध्यप्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और मैं प्रदेश के अधिकारियों द्वारा किए गए सर्वे से संतुष्ट नहीं हूं। भारी बारिश के कारण किसानों की 100 फीसदी फसलें खराब हो गई हैं। सर्वे करने की जरूरत नहीं है किसानों को सीधा मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन जो भी सर्वे हुआ है वह ठीक नहीं हुआ है। सिंधिया ने प्रदेश में ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा था कि ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर क्या हो रहा है यह सबको पता है। प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने भी एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से इस बयान का समर्थन किया। उनका एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह कहती सुनी जा रही हैं कि ट्रांसफर में पैसे लगते हैं इसलिए हम ट्रांसफर नहीं दोषी अधिकरि हैं।


