एसडीएम ने ही रची थी अपने ही दफ्तर में हमले की साजिश

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एसडीएम सपकाले सहित पांच गिरफ्तार, कमिश्रर ने किया निलंबित
छतरपुर। बीते दिनों छतरपुर एसडीएम कार्यालय में हुई तोडफ़ोड़ और फायरिंग के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने अपने खुलासे में बताया है कि इस पूरे हमले की साजिश खुद एसडीएम अनिल सपकाले ने रची थी। पुलिस ने एसडीएम सपकाले सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें भाजपा के प्रदेश मंत्री जावेद अख्तर और कृष्णा यूनिवर्सिटी के संचालक पुष्पेंद्र गौतम भी शामिल थे। घटना के एक दिन पूर्व अनिल सपकाले और पुष्पेंद्र गौतम के द्वारा सर्किट हाऊस में बैठकर पूरी घटना की प्लानिंग की गई और इसकी सारी भूमिका बनाई गई। एसडीएम कार्यालय में हुए हमले में अमित सिंह परमार, अर्जुन श्रीवास, सतीश सोनी शामिल थे। इस खुलासे के बाद छतरपुर कलेक्टर मोहित बुंदस के प्रतिवेदन और एसपी की जांच रिपोर्ट पर सागर कमिश्रर आनंद शर्मा ने एसडीएम को निलंबित कर दिया है। कार्रवाई और खुलासे के बाद हड़कम्प मच गया है। 
हुआ यह कि बुधवार को अज्ञात बदमाशों ने एसडीएम कार्यालय मेें घुसकर तोडफ़ोड़ की थी। इस दौरान दो राउंड फायरिंग की गई। बदमाशों ने एसडीएम की गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। एएसपी जयराज कुबेर की 12 सदस्यीय टीम इस घटना की जांच कर रही थी। आज शुक्रवार को पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि सपकाले ने ही एक यूनिवर्सिटी संचालक को फंसाने के लिए इस हमले की साजिश रची थी। इस साजिश में उनके साथ अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश मंत्री जावेद अख्तर और कृष्णा यूनिवर्सिटी के संचालक पुष्पेंद्र गौतम शामिल थे। पहले प्रशासन को आशंका थी कि यह घटना एसडीएम द्वारा भू-माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई का नतीजा हो सकती है। लेकिन आज पुलिस ने सारे राज पर से पर्दा उठा दिया है। 
इसलिए दिया घटना को अंजाम 
एसबीएन यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर अभय सिंह भदौरिया एवं कृष्णा यूनिवर्सिटी के चैयरमैन पुष्पेंद्र गौतम के बीच लम्बे समय से व्यवसायिक प्रतिद्धंद्धिता चली आ रही थी। जबकि पुष्पेंद्र गौतम और एसडीएम सपकाले के बीच काफी घनिष्ठता थी। श्री गौतम ने अभय सिंह को परेशान करने के लिए एसडीएम सपकाले को उसके पीछे लगाया। जिसके कारण एसडीएम ने कदारी मोजा में स्थित अभय सिंह भदौरिया की जमीन को शासकीय घोषित करते हुए उस पर भादवि की धारा 420 सहित अन्य धाराओं में मामला छतरपुर थाने में दर्ज करा दिया था। जिस पर श्री भदौरिया को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय से जमानत मिल गई थी। जिससे बौखलाकर भदौरिया को फंसाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई। 
आरोपी के पास मिले वॉयस रिकॉर्ड से हुआ खुलासा
पुलिस ने बताया कि आरोपी पुष्पेंद्र गौतम के फोन से एक वॉयस रिकॉर्ड मिला है। जिसमें पता चला है कि एसडीएम से उनकी 10 साल पुरानी मित्रता है। रिकॉडिंग में स्पष्ट है कि एसडीएम कार्यालय में हमला करने और तोडफ़ोड़ के लिए चार-पांच लड़कों को बुलाने के लिए एसडीएम सपकाले ने ही कहा था। इस साजिश में पुष्पेंद्र गौतम के साथ ही राजू बुंदेला की अहम भूमिका थी। पुलिस को पुष्पेंद्र गौतम ने बताया कि एसडीएम सकपाले छतरपुर में ही पदस्थ रहे, इसके लिए 15 लाख रूपए दे चुका है। दिसंबर 2019 में 4 लाख 70 हजार रूपए दिया था। वॉयस रिकॉडिंग में एसडीएम सपकाले से लेन-देन और एसडीएम को स्टे दिलाने की बातचीत भी उपलब्ध है। जिससे दोनों के बीच घनिष्ठता का पता चलता है। 
जांचा जा रहा है एसडीएम का मोबाइल 
एएसपी जयराज कुबेर ने बताया कि पुलिस एसडीएम सपकाले को उनके सरकारी आवास पर हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है, उनके मोबाइल को भी जांचा जा रहा है। एसडीएम ने ही पूरी योजना बनाकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश मंत्री जावेद अख्तर, डायरेक्टर पुष्पेंद्र गौतम, राजू उर्फ राजेंद्र बुंदेला, अर्जुन उर्फ संतोष श्रीवास और अमित परमार से मिलकर साजिश रची थी। हमले के दौरान हमलावर किसी भदौरिया का नाम लेकर चिल्ला रहे थे। पुलिस ने भदौरिया से पूछताछ की लेकिन जांच में पता चला कि भदौरिया को फंसाने के लिए ही ऐसा किया गया है। 
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कलेक्टर से विवाद भी चर्चा का विषय
गिरफ्तार किए गए एसडीएम अनिल सपकाले का कलेक्टर मोहित बुंदस से विवाद भी चर्चा का विषय है। कांग्रेस नेताओं की शिकायत पर अनिल सपकाले का तावदला कर दिया गया था। लेकिन अब तक कई तबादले झेल चुके सपकाले हाईकोर्ट चले गए। जबलपुर हाईकोर्ट ने उन्हें एसडीएम पद पर बने रहने का आदेश जारी किया। आदेश मिलने के बाद 22 नबंवर को एसडीएम सपकाले ने पद ग्रहण कर लिया। इससे पहले वह कलेक्टर से मिलने गए थे। परंतु कलेक्टर मिले नहीं। एसडीएम ने जब चार्ज लिया तो कार्यालय के कर्मचारी भी नदारत हो गए थे। कलेक्टर मोहित बुंदस का कहना था कि छतरपुर में  एसडीएम केके पाठक भी हैं। 

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