डुप्लैक्स ढहाने वाली सरकारी मशीनरी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो अग्रवाल समाज उतरेगा सड़कों पर
शिवपुरी। नमो नगर में 24 दिसंबर को प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन पर बने तीन डुप्लैक्सों को प्रशासन ने हिटैची और पोकलेन मशीन द्वारा ढ़हा दिया। मध्यदेशीय अग्रवाल समाज के अध्यक्ष गौरव सिंघल के उक्त डुप्लैक्स थे। आज अग्रवाल समाज ने पत्रकारवार्ता बुलाकर इस मामले में डुप्लैक्स ढ़हाने वाली सरकारी मशीनरी के खिलाफ कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया और कहा कि यदि दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो अग्रवाल समाज बाजार बंद कराने से लेकर कृषि उपज मंडी तक को बंद कराएगा। पत्रकारवार्ता में गिर्राज सिंघल ने रोते हुए बताया कि डुप्लैक्स ढहाने से मेरा 60-65 लाख रूपए का नुकसान हुआ इज्जत चली गई और उल्टे प्रशासन ने भूमाफिया घोषित कर दिया, अब मेरे पास बचा क्या है। पिताजी की तबीयत कल से खराब है। जबकि मेरे पास जमीन की रजिस्ट्री, नामांतरण और डायवर्सन आदि सभी जरूरी कागजात हैं। प्रशासन ने मुझे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। माननीय न्यायालय ने स्टे दिया। लेकिन तब तक तो मेरा डुप्लैक्स ढहा दिया गया था। स्टे मिलने की आशंका के कारण आनन-फानन में प्रशासन ने कार्रवाई को अंजाम दे दिया।
गौरव सिंघल ने बताया कि उन्होंने नमोनगर में लगभग साढे 5 हजार वर्गफीट जमीन विक्रेता दीपक जैन (जैन दूध डेयरी) से खरीदी। इसके बाद उन्होंने जमीन का नामांतरण और डायवर्सन कराया। उक्त जमीन उन्होंने लगभग 10 साल पहले खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने उक्त जमीन पर डुप्लैक्स बनाना शुरू कर दिया। हालांकि मकान निर्माण की विधिवत अनुमति उनके पास नहीं है। लेकिन इसका आवेदन उन्होंने किया था। श्री सिंघल बताते हैं कि 17 नबंवर को उक्त स्थल पर एसडीएम गुर्जर आए और उन्होंने उससे कहा कि उक्त डुप्लैक्स सरकारी जमीन पर बन रहे हैं। मैंने कहा कि मेरे पास विधिवत सब कागजात हैं और मैंने उक्त सभी कागजात रजिस्ट्री, नामांतरण और डायवर्सन आदि एसडीएम साहब को दे दिए। इसके बाद उन्होंने कहा कि हम जांच करा लेते हैं और एसडीएम के निर्देश पर मौके पर कुछ लोग नापतोल करने आए, जब मैंने उनसे कुछ कहना चाहा तो वह बोले हमसे कुछ मत कहो, साहब से बात करो। लेकिन मेरे पास सभी कागजात थे। इसलिए निश्चिंत था। परंतु 20 दिसंबर को उनके पास एसडीएम न्यायालय से सम्मन आया, जिसमें उनसे उक्त जमीन के बारे में अपना पक्ष रखने को 23 दिसंबर को एसडीएम कोर्ट में हाजिर होने को कहा। श्री सिंघल बताते हैं कि उक्त पत्र 16 दिसंबर को जारी किया गया था। लेकिन उनके पास तामिल 20 दिसंबर को हुई। 21 और 22 दिसंबर की छुट्टी थी और 23 दिसंबर को मैंने न्यायालय में उक्त आदेश के खिलाफ स्टे हेतु आवेदन लगाया। जिस पर तहसीलदार को 24 दिसंबर को कोर्ट में 11 बजे हाजिर होने का आदेश दिया गया। लेकिन इसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया और 24 दिसंबर को सुबह ही एसडीएम, तहसीलदार, सीएमओ सहित पूरी सरकारी मशीनरी डुप्लैक्स तोडऩे पहुंच गई और उनके डुप्लैक्स ढहा दिए। 24 दिसंबर की शाम को कोर्ट ने स्टे दिया। लेकिन तब तक उस स्टे का कोई अर्थ नहीं रह गया था। पत्रकारवार्ता में मध्यदेशीय अग्रवाल समाज के उपाध्यक्ष उत्तम गोयल और मंत्री आदि भी उपस्थित थे।
मिर्ची सेठ और एक पटवारी ने रखी थी डिमांड
गौरव सिंघल का आरोप है कि यदि में रिश्वत दे देता तो मरे डुप्लैक्स नहीं टूटते। श्री सिंघल ने पत्रकारवार्ता में बताया कि 20 दिसंबर को उनके पास एसडीएम कोर्ट का नोटिस आने के बाद एक पटवारी और मिर्ची सेठ नाम के विचौलिये ने सम्पर्क किया था और कहा था कि 5 लाख रूपए दे दों हम इस मामले को निपटा देंगे। चूंकि मेरे पास सभी वैधानिक कागजात थे इसलिए मैं निश्चित था कि कोई कार्रवाई कैसे होगी। इसलिए मैंने पैसे देने से मना किया। यदि मैं जरा भी गलत होता तो 5 लाख रूपए दे देता। श्री सिंघल ने बताया कि मिर्ची सेठ हमारे समाज का ही है लेकिन समाज वाले आजकल समाज को ही खा रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी मिर्ची सेठ से कोई पुरानी रंजिश है, तो उनकी पत्नी ने जबाव दिया कि उनकी मिर्ची सेठ से कोई रंजिश नहीं है।