सट्टा किंग पर क्यों नहीं हो रही जिलाबदर की कार्रवाई?
शिवपुरी। शहर में सट्टे का अवैध कारोबार कमलागंज, फिजीकल एवं पुरानी शिवपुरी में खुलेआम बेरोकटोक चल रहा है। जहां इस कारोबार पर लगाम लगाने वाले ही अपने आंख-कान बंद कर बैठे हो तो फिर सटोरियों का मालामाल होना मुनासिब ही है। सट्टे का खेल युवा पीढ़ी सहित कई घरों को बर्बादी की कगार पर पहुंचा चुका है। आम जनता को तो बस एसपी साहब से यही आशा है कि सट्टा खेल के सरगना को ही जिलाबदर कर दिया जाए तो एकाएक ही सट्टा कारोबार पर लगाम कस सकती है। यानि जब सट्टा खिलाने वाला ही शहर में नहीं होगा तो फिर कारोबार कैसे चलेगा, क्योंकि सट्टा किंग जुगल खचेरा की इस कारोबार में जड़े इतनी मजबूत हो चुकी है कि कमलागंज से लेकर फिजीकल क्षेत्र में वह बेखौफ होकर सट्टा कारोबार चला रहा है और पुलिस भी सिर्फ छोटी-छोटी कार्रवाई कर अपने फर्ज से इतिश्री कर लेती है, क्योंकि कहीं न कहीं कुछ कथित पुलिस वाले ही उनका सहयोग करते हैं। यह बात तत्कालीन एसपी युसुफ कुर्रेशी के समय जाहिर हो चुकी है, क्योंकि कोतवाली, फिजीकल एवं देहात पुलिस को बिना बताए ही स्वयं अपनी टीम द्वारा जुगल खचेरा के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया था और भारी मात्रा में सट्टे की पर्चियां, अवैध हथियार एवं दो लाख से अधिक रूपए बरामद किए थे। इसके बाद से एकदम सट्टे के कारोबार पर शहर में लगाम सी लग गई थी। कुछ ऐसी ही कार्रवाई शहर की जनता एसपी साहब से चाह रही है।
पुलिस भली भांति जानती है कि शहर में सट्टे का कारोबार सट्टा किंग जुगल खचेरा के संरक्षण में चल रहा है। फिर भी उसके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात ही रही है और अभी हाल ही में सट्टा किंग जुगल खचेरा को फिजीकल पुलिस ने गिरफ्तार तो किया था, परंतु उसके खिलाफ जुआ एक्ट एवं 151 की कायमी की थी जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशाना जरूर लगाता है, क्योंकि सभी जानते हंै कि सट्टा खचेरा के संरक्षण में पूरे क्षेत्र में चल रहा है तो उस पर प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सट्टा किंग ने अपना सट्टा कारोबार पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में भी फैलाना शुरू कर दिया है, क्योंकि इस क्षेत्र के थाने में उनके हिमायती साहब की पदस्थी हो चुकी है और अपना कारोबार वहां भी फैलाना शुरू कर दिया है।
सट्टे से एक व्यक्ति नहीं पूरा परिवार होता है बर्बाद
सट्टे को धीमा नशा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि 1 के 80 के लालच में व्यक्ति फंसता चला जाता है और घर परिवार से बेखबर होकर खून पसीने की गाढ़ी कमाई को वह सट्टे पर लगा देता है और बर्बाद होता चला जाता है। यह सब वह अकेला भोगे तो कोई बात नहीं, परंतु इसका परिणाम उसके पूरे परिवार को भोगना पड़ता है जिस कारण घर गृहस्थी का सामान का बिचना, बच्चों का पढ़ाई से दूर होना सहित परिवार के भूखे मरने की नौबत तक आ जाती है और मासूम बच्चों को घर चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है जिस कारण पूरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है। यह सब सिर्फ और सिर्फ सट्टे के चंगुल में फंसने का परिणाम होता है।


