सिंधिया हार को नहीं पचा पाए, हार के बाद वह थे भाजपा के सम्पर्क में : कमलनाथ

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दिन में तीन-तीन बार मिलने वाले विधायकों ने दिया झूठा विश्वास इसलिए नहीं बचा पाए सरकार 
भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि उन्हें भाजपा और सिंधिया के गठजोड़ की चालों की पूरी जानकारी थी। इसके बाद भी वह अपनी सरकार को इसलिए नहीं बचा पाए क्योंकि वह झूठे विश्वास में थे। जो विधायक उनसे दिन में तीन-तीन बार मिलते थे उन्हीं ने उन्हें धोखा दिया। जहां तक सिंधिया का सवाल है तो उन्हें जानकारी थी कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के लगातार सम्पर्क में थे। वह चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में गए। एक साधारण कार्यकर्ता से हार को पचा नहीं पा रहे थे। भाजपा की प्रदेश ईकाई ने तो उन्हें पसंद नहीं किया। लेकिन अंतत: भाजपा उन्हें अपने साथ  लाने में सफल रही। क्योंकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मध्यप्रदेश में किसी भी कीमत पर राज्यसभा की दो सीटें पाना चाहता था। 
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भले ही प्रदेश में सत्ता भाजपा की है। लेकिन खेल अभी खुला हुआ है। हमारे पास 92 विधायक हैं और उनके पास 107। 24 सीटों के लिए उपचुनाव में हमें भरोसा है कि हम कम से कम 15 सीटें अवश्य जीतेंगे। ऐसे में हमारी संख्या भी 107 हो जाएगी और फिर बांकी बचे 7  विधायक पिक्चर में आते हैं। जिनमें चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा से है। कमलनाथ को भरोसा है कि उपचुनाव में सिंधिया और शिवराज प्रचार करने में समर्थ नहीं हो पाएंगे। कमलनाथ ने अपने साक्षातकार में बताया कि दिन में कई बार फोन करने वाले विधायकों ने पाला बदल लिया। मुझे पता था कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद जुलाई से ही सिंधिया भाजपा के सम्पर्क में थे। वह इस तथ्य का पचा नहीं पाए कि वह एक लाख से अधिक वोटों से लोकसभा चुनाव हार गए। वह भी उस उम्मीदवार से जो कांग्रेस का साधारण कार्यकर्ता था और जिस भाजपा ने अपने पाले में लेकर उनके खिलाफ चुनाव में उतारा था। हमें जानकारी थी कि भाजपा की राज्य ईकाई ने उन्हें नहीं चाहा। लेकिन शीर्ष नेतृत्व  के कारण वह भाजपा में आने मेें सफल रहे। 
किसानों को सरकार से नहीं मिल रही कोई मदद 
कमलनाथ ने लॉकडाउन से किसानों पर पडऩे पर असर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का सीधा असर है आर्थिक गतिविधियों मेें कमी और इसका देशभर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर तबाही करने वाला असर। जिससे किसानों को अपनी सब्जी की उपज नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उनके लिए कोई बाजार नहीं है और न ही उन्हें सरकार से कोई मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में एक बिस्कुट फैक्ट्री है, मैंने उसके ऑपरेटर को फैक्ट्री शुरू करने के लिए फोन किया ताकि लोगों का रोजगार न छिने, लेकिन मुझे हैरानी हुई  जब फैक्ट्री प्रबंधन  ने मुझे बताया कि वह फैक्ट्री शुरू नहीं कर पाएंगे क्योंकि बिस्कुट की फिलहाल मांग नहीं है। 

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