सरकार से ऐसे शिक्षकों को आर्थिक पैकेज जारी करने की मांग
शिवपुरी। कोरोना संकटकाल में लॉकडाउन के दौरान बंद हुए स्कूलों के कारण अब स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपना परिवार चलाने के लिए सब्जी बेचनेे को मजबूर हैं। लॉकडाउन की मार सर्वाधिक प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर पड़ी है। ऐसे ही एक शिक्षक उमेश श्रीवास्तव जो रसायनशास्त्र पढ़ाते हैं वह कोचिंग और स्कूल बंद होने से सड़क पर आ गए हैं और उन्हें अब परिवार का पेट पालने के लिए चार पहिए के ठेले में सब्जी रखकर बेचनी पड़ रही है। रविवार को शिक्षक उमेश श्रीवास्तव शहर की सड़कों पर सब्जी बेचते हुए देखे गए। उन्होंने अपने ठेले पर अपनी व्यथा भी लिखी है। जिसे पढ़कर लोगों की उनके प्रति सहानुभूति भी सामने आने लगी।
पीडि़त शिक्षक उमेश श्रीवास्तव रविवार को कॉलोनियों में सब्जी बेचने का कार्य कर रहे थे। उनके ठेले पर एक बैनर भी लगा था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मैं रसायनशास्त्र का शिक्षक हूं। लेकिन लॉकडाउन के कारण रोजगार छिन जाने से वह बेरोजगार हो गया है और पेट पालने के लिए उसे मजबूरन सब्जी बेचनी पड़ रही है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे जैसे अनेकों शिक्षक हैं, जो इस तरह के काम कर अपना परिवार चला रहे हैं। कई शिक्षक पंचर जोड़कर पेट पाल रहे हैं तो कई लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पन्ना की एक विकलांग महिला बेरोजगार होने से डिप्रेशन में आ गई और उसने आत्महत्या कर ली। क्योंकि उसके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा था। जिस जगह उसका रोजगार था वह उससे छिन गया। ऐसी स्थिति में उसके समक्ष भूखों मरने की नौबत आ गई और इसी के चलते उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। श्री श्रीवास्तव ने मांग की है कि सरकार को हम जैसे शिक्षकों की समस्या को संज्ञान में लेना चाहिए और ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता जारी करनी चाहिए।


