पानी में डूबी संवेदनाएँ : शव को कंधों पर लेकर 4 फीट गहरी नदी पार, तब हुआ संस्कार

MP DARPAN
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मामला शिवपुरी जिले के खरई जालिम गाँव का, जहां मुक्तिधाम का अभाव


शिवपुरी।
मानवता और मजबूरी का मार्मिक दृश्य शिवपुरी जिले के खरई जालिम गाँव में देखने को मिला। गाँव में मुक्तिधाम न होने की वजह से बुधवार को 15 वर्षीय विवेक पुत्र रामकुमार प्रजापति की अंतिम यात्रा एक कठिन संघर्ष बन गई। ग्रामीणों को शव को कंधों पर उठाकर हाथों में लकड़ियां लेकर लगभग चार फीट गहरे पानी से भरी पार्वती नदी पार करनी पड़ी। यह नजारा देखने वालों के लिए बेहद भावुक कर देने वाला था। 

मंगलवार शाम विवेक पुत्र रामकुमार प्रजापति ने बीमारी के कारण इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बुधवार को जब अंतिम संस्कार का समय आया तो पूरे गांव की आंखें नम थीं। शवयात्रा निकली, लेकिन रास्ता सीधा श्मशान तक नहीं जाता, बीच में बह रही थी पार्वती नदी। लगभग चार फीट पानी उफान मार रहा था, लेकिन रिश्तों की डोर और अंतिम संस्कार का फर्ज भारी पड़ा। ग्रामीणों ने विवेक के शव को कंधों पर उठाया और बहते पानी को चीरते हुए नदी पार की। दूसरी ओर पहुँचकर चिता सजाई गई और अश्रुपूरित नेत्रों से उसे विदाई दी गई। गांव में मुक्तिधाम न होने की यह मजबूरी वर्षों से चली आ रही है। ग्रामीण बताते हैं कि आसपास की ज़मीन निजी होने के कारण कोई स्थायी श्मशान भूमि तय नहीं हो पाई। लिहाज़ा फुलीपुरा और खरई जालिम के लोग नदी किनारे ही अंत्येष्टि करने को विवश हैं। यह दृश्य केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे गांव की विवशता को बयां करता है। जहां विकास की बातें होती हैं, वहां आज भी लोगों को अपनों की अंतिम विदाई के लिए नदी पार करनी पड़ती है।

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