डबिया से बलारी माता दरबार तक आस्था की अविरल धारा, हजारों श्रद्धालु हुए भावविभोर
शिवपुरी। सहरिया समाज में धर्म और संस्कृति की चेतना अब जनांदोलन का स्वरूप ले चुकी है। इसी क्रम में बुधवार को सहरिया क्रांति परिवार द्वारा आयोजित अब तक की सबसे विशाल चुनरी यात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्ति के रंग में रंग दिया। यह ऐतिहासिक यात्रा ग्राम डबिया से प्रारंभ होकर लगभग 30 किलोमीटर दूर माँ बलारी धाम तक पहुँची, जिसमें हजारों श्रद्धालु नंगे पांव चलकर माता के दरबार पहुँचे।
सुबह 9 बजे शुरू हुई यात्रा में जय माता दी, माता रानी की जय, सहरिया क्रांति जिंदाबाद के जयघोषों ने वातावरण को गुंजायमान कर दिया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, माताओं और बहनों ने धर्मध्वजाएँ थामे, सामूहिक भजन-संकीर्तन करते हुए कदम-दर-कदम आगे बढ़ते रहे। हर गाँव में ग्रामीणों ने भक्तों का तिलक, पुष्प, फल और जलपान से स्वागत किया। भरकुली, सुरवाया, भदाबावड़ी और करई जैसे गाँवों में ग्रामीणों ने पंडाल लगाकर सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। महिलाओं ने थालियों में दीपक और अक्षत लेकर भक्तों का अभिनंदन किया, वहीं युवाओं की टोली ने रास्तेभर छाछ, फल और प्रसाद वितरित किया। यात्रा के आकर्षण का केंद्र रहे ऊधम आदिवासी, जिन्होंने पेट पर नेजा बाँधकर नंगे पांव डबिया से बलारी माता तक चलने का व्रत लिया। उनका तप और भक्ति देखकर हजारों श्रद्धालुओं की आँखें नम हो उठीं। पूरी यात्रा का संचालन सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के नेतृत्व में हुआ। इस दौरान विजय भाई आदिवासी, औतार, अनिल, मक्खन, कल्याण, अजय, राजकुमार, प्रदीप, सावदेश, केशव, राज और हजरत आदिवासी सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अनुकरणीय सेवा भावना से व्यवस्था संभाली। इस धार्मिक यात्रा के साथ तीन दिवसीय महायज्ञ एवं देवी अनुष्ठान का आयोजन भी ग्राम डबिया पीपल वाले मंदिर परिसर में हुआ, जिसमें पं. महेंद्र कोठारी (गढ़ी बरोद वाले) द्वारा वैदिक विधान से पूजा-पाठ संपन्न कराया गया।


