जनता की आवाज अब सिर्फ मीडिया ही कर रहा है मुखरित
शिवपुरी। लगभग एक साल से शिवपुरी राजनैतिक रूप से अनाथ नजर आ रहा है। राजनैतिक मंच पर यहां की जनसमस्याओं के निवारण की जिम्मेदारी मुख्य रूप से कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा में यशोधरा राजे सिंधिया ही पिछले वर्षो से उठाती रहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव में सिंधिया की पराजय से एक तरह से उन्होंने फिलहाल शिवपुरी की समस्याओं से किनारा कर लिया है। जबकि शिवपुरी विधायक और पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का कहना है कि अब वह विपक्ष में हैं और सत्ता के गलियारों में उनकी अब कोई सुनवाई नहीं है। इसी कारण वह पिछले दो महीने से शिवपुरी मेें भी नहीं आई हैं। राजनीति के इन दो ध्रुवों की सक्रियता न होने से शिवपुरी में जनसमस्याएं यथावत बनी हुई हैं। शिवपुरी के नागरिकों को पेयजल सुलभ कराने वाली सिंध पेयजल परियोजना अभी भी सपना बनी हुई हैं। वहीं सीवेज प्रोजेक्ट का काम भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है। न फोर लेन बना है और न ही शहर के मध्य से गुजरने वाले हाईवे के निर्माण का कार्य भी शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में जनता की आवाज को मुखरित करने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मीडिया ने संभाल रखी है। जिसकी शासन और प्रशासन में सुनवाई हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस कारण अफसरशाही के हौंसले बुलंद हैं।
सत्ता भले ही किसी भी दल की रही हो, लेकिन शिवपुरी में राजनैतिक रूप से प्रभावशाली सिंधिया राजपरिवार रहा है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों की सत्ता में सिंधिया राजपरिवार के सदस्यों की शासन और प्रशासन पर पकड़ रहती है। यहां कांग्रेस और भाजपा की टॉप लीडरशिप का अर्थ सिंधिया राजपरिवार रहा है। इस राजपरिवार के सदस्यों की स्थानीय राजनीति के अलावा राजनीति में उच्चस्तरीय पकड़ भी जग जाहिर है। यहीं कारण है कि शिवपुरी में कांग्रेस और भाजपा में सेकेंड लाईन लीडरशिप उभर नहीं पाई। दोनों ही दलों में जमीनी नेतृत्व का अभाव रहा है। कारण चाहे यह माने कि सिंधिया राजपरिवार के वटवृक्ष के नीचे कोई छोटा मोटा पौधा पनप ही नहीं पाया। इसके दुष्परिणाम पर इसलिए अभी तक गौर नहीं किया गया था क्योंकि नेतृत्व की जिम्मेदारी कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में सिंधिया राजपरिवार संभालता रहा है। इसका भी एक प्रमुख कारण है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व यहां से सिंधिया राजपरिवार के किसी भी सदस्य को पराजय का सामना नहीं करना पड़ा। चाहे उन्होंने किसी भी दल या निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा हो, जीत हमेशा सिंधिया राजपरिवार के सदस्य को मिलती रही है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया की पराजय से अभी तक यहां राजनैतिक रूप से जो नहीं हुआ था वह लगभग असंभव कार्य संभव हो गया। इस झटके से सिंधिया राजपरिवार का पूरा बजूद हिल गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक तरह से शिवपुरी से किनारा कर लिया और उनकी राजनैतिक सक्रियता ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में अधिक हो गई। विधानसभा चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी से 28 हजार अधिक मतों से जीत गईं। लेकिन लोकसभा चुनाव में सिंधिया की पराजय ने उन्हें आत्मचिंतन के लिए अवश्य मजबूर किया। लोकसभा चुनाव में सिंधिया राजपरिवार को मिले झटके के बाद भाजपा में भी यशोधरा राजे की मुश्किलें संगठन के कर्ताधर्ताओं ने बढ़ाना शुरू कर दीं। जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में यशोधरा राजे निवर्तमान जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी के पुन: निर्वाचन के पक्ष में थी और अध्यक्ष पद के मतदाताओं का गणित भी उनकी संभावनाओं को बढ़ा रहा था। लेकिन उम्र के मापदंड पर रघुवंशी जिलाध्यक्ष नहीं बन पाए और जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में राजू बाथम का पलड़ा भारी हो गया। यशोधरा खैमे ने कोशिश की कि अध्यक्ष पद के लिए दुबारा रायशुमारी हो जाए। लेकिन संगठन में उनके विरोधियों ने इसे मानने से इंकार किया। यहीं नहीं शिवपुरी नगर के एक मंडल अध्यक्ष का चुनाव भी इसलिए नहीं किया गया। क्योंकि यशोधरा खैमे द्वारा घोषित उम्मीदवार की नियुक्ति के पक्ष में पार्टी संगठन नहीं था। इससे सूत्रों के अनुसार निश्चित रूप से यशोधरा राजे हतोत्साहित हुई और जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के पश्चात से वह एक बार भी शिवपुरी नहीं आईं है। स्थानीय राजनैतिक परिदृश्य से ज्योतिरादित्य सिंधिया और यशोधरा राजे की तात्कालिक ओझलता से जनसमस्याएं यथावत बनी हुई हैं। शिवपुरी के नागरिकों को न तो शुद्ध और साफ सिंध का पानी मिल पा रहा है और न ही सीवेज प्रोजेक्ट पूर्ण होता लग रहा है। वायपास और शिवपुरी के मध्य से गुजरने वाली सड़क का निर्माण भी अधर में लटका हुआ है। माधव चौक चौराहे का भी जीर्णोद्धार और सौंद्रर्यीकरण भी नहीं हो पा रहा है। सड़कों के निर्माण हुए तो हैं लेकिन काफी गुणवत्ताहीन। भ्रष्टाचार चरम पर है और नागरिकों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। होए भी तो कैसे, शासन और प्रशासन में कांग्रेस और भाजपा की वर्तमान लीडरशिप की कोई पकड़ नहीं है।