कलेक्टर, एसपी, वन सरंक्षक को सौंपा ज्ञापन, घटना की मजिस्ट्रियल जांच और गिरफ्तार कर्मचारियों को जमानत पर रिहा करने की मांग की
शिवपुरी। 16 फरवरी को करैरा सोनचिरैया अभ्यारण के अंतर्गत वन विभाग के गश्ते दल पर हत्या का मामला दर्ज होने के विरोध में आज वन कर्मचारी सड़कों पर उतर आए और जिले के कर्मचारी संगठनों ने भी उन्हें सहयोग देकर रैली निकाली तथा कलेक्टर, एसपी और वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में घटना की मजिस्ट्रियल जांच की मांग की गई है। वहीं इस मामले में गिरफ्तार किए गए 6 वन कर्मचारियों को भी जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की है। ज्ञापन में वन कर्मचारियों ने अनेक ऐसे तथ्यों का वर्णन किया है, जिससे लगता है कि वनकर्मियों ने अपनी आत्मरक्षा में गोली चलाई। जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई।
वन कर्मचारियों की यह रैली माधव चौक से प्रारंभ हुई जिसमें लगभग 1 हजार कर्मचारी मौजूद थे। वनकर्मियों ने कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय पहुंचकर डिप्टी कलेक्टर तथा एडीशनल एसपी गजेंद्र सिंह कंवर को ज्ञापन सौंपा। एडीशनल एसपी कंवर ने ज्ञापन पढऩे के बाद कहा कि वह इसकी जांच करवा लेंगे। 6 पृष्ठीय ज्ञापन पर वन कर्मचारी संघ के उप प्रांताध्यक्ष नरेंद्र गौतम, वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष पुरूषोत्तम शर्मा, मध्यप्रदेश वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण संघ के प्रांतीय संगठन सचिव ओमप्रकाश पचौरी, तृतीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष कपिल दुबे, मध्यप्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा, माधव राष्ट्रीय उद्यान के अध्यक्ष धारा सिंह, उपाध्यक्ष अनुग्रह आदि के हस्ताक्षर हैं। ज्ञापन में अल्टीमेटम दिया है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया और इस मामले की मजिस्ट्रियल जांच नहीं कराई गई तो शिवपुरी जिले के समस्त वन कर्मचारी अपने शासकीय कार्याे को बंद कर अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस कारण से विभाग की वन सुरक्षा एवं वन्य प्राणी सुरक्षा पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव के लिए कर्मचारी जिम्मेदार नहीं होंगे। ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि जिन 15 कर्मचारियों पर हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें से अनेक घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे। ऐसे कर्मचारियों के नाम सरदार प्रकट सिंह, वनरक्षक रवि बाथम और वन पाल बताए गए हैं। उनके अनुसार ये कर्मचारी करैरा में न होकर शिवपुरी मुख्यालय पर विभाग की ड्यूटी पर थे। इसी प्रकार और भी वन कर्मचारी जो घटना स्थल से काफी दूर थे, उनके नाम भी एफआईआर में दर्ज किए गए हैं। ज्ञापन में बताया गया है कि मृत्य व्यक्ति के परिवार के लोग आपराधिक प्रवृति के थे और पूर्व में भी झगड़े एवं मारपीट के कई प्रकरण उनके खिलाफ दर्ज हैं तथा न्यायालय में विचाराधीन है। घटना स्थल पर सुरक्षा गार्ड के साथ-साथ मृत्य व्यक्ति के परिवार एवं उनके साथी पर भी देशी कट्टे की जानकारी है। उनके द्वारा भी फायर किए जाने की सूचना है। यह स्पष्ट नहीं है कि किसके द्वारा गोली चलाई गई, जिससे यह हादसा घटित हुआ। एफआईआर में लिखा गया है कि सुरेश शर्मा रेंजर, सरदार प्रकट सिंह, वन रक्षक रवि बाथम, रामेश्वर रावत आदि बंदूक लिए हुए थे और उन्होंने फरियादी पक्ष पर हमला किया। जबकि उक्त लोगों के पास न तो शासकीय हथियार और न ही निजी हथियार हैं और उनका नाम गलत तथा द्वेषभावनापूर्ण लिखाया गया है। ज्ञापन में सीआरपीसी की धारा 197 का उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार किसी वन कर्मचारी पर अपनी ड्यूटी के दौरान वन अपराध को रोकने में हमला होता है और उसके बचाव में यदि किसी व्यक्ति या अपराधी की मृत्यु हो जाती है तो उस प्रकरण में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई जाती है तथा प्रकरण के गुण दोष के आधार पर आवश्यक होने पर ही वन कर्मचारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की जा सकती है। परंतु इस प्रकरण में सीआरपीसी की धारा 197 की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
ज्ञापन में घटना की कहानी
वन कर्मचारियों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में घटना की कहानी भी वर्णित की गई है। ज्ञापन के अनुसार 16 फरवरी को मुखबिर से सूचना पर करैरा अभ्यारण क्षेत्र में अवैध उत्खनन की सूचना मिलने पर गश्ती दल घटना स्थल पर गया था। उसी दौरान अभ्यारण क्षेत्र में वन चौकी के पास लगे हुए हैंड पंप से स्टाफ द्वारा पीने के लिए पानी भरने का कार्य किया जा रहा था। गांव के लोगों को सूचना मिली की वन विभाग का अमला अवैध उत्खनन रोकने के लिए आ रहा है। इस पर ग्रामीणों तथा मृत्य व्यक्ति के परिवार द्वारा गाली गलौच एवं ईट पत्थरों से वनकर्मियों पर हमला कर दिया गया। जिसे रोकने के लिए काफी समझाया एवं प्रयास किया गया। परंतु ग्रामीण पूरी तरह कर्मचारियों को मारने के उद्देश्य से आए थे। पूर्व में वन कर्मचारियों द्वारा उस क्षेत्र में अवैध उत्खनन की सूचना पर जेसीबी, ट्रेक्टर आदि जप्त कर लिए थे और प्रकरण बना दिया था। इसी कारण ग्रामीण वन कर्मचारियों से बदला लेना चाहते थे। वन कर्मचारियों ने अपने बीच बचाव एवं आत्मरक्षा के कारण घटना कारित की। गोली किस पक्ष द्वारा चलाई गई यह स्पष्टनहीं है।




