नफरत की राजनीति करने वालों को मुस्लिम युवक ने दिया करारा जबाव

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हिन्दू दोस्त की जान बचाने के लिए अंतिम समय तक जूझता रहा मुस्लिम युवक 
शिवपुरी। हिंदू मुसलमान की राजनीति में देश में नफरत का वातावरण पैदा करने वालों को एक मुस्लिम युवक मो. कय्यूम ने अपनी मानवता और संवेदनशीलता से बौना कर दिखाया है। उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले का रहने वाले इस युवक ने इंसानियत की वह मिसाल पेश की जिसे भुलाया नहीं जा सकेगा। हालांकि अपने मित्र की जान बचाने के लिए वह अधिकतम जो कर सकता था, वह उसने किया। यहां तक कि अपनी जान को भी दांव पर  लगा दिया। यह बात अलग है कि इसके बाद भी वह अपने हिन्दु मित्र अमृत को मौत के तगड़े आगोश से बाहर नहीं निकाल पाया। उसके इस साहस और जज्बे को भरपूर सराहना मिल रही है। 
मो. कय्यूम और उसका मित्र अमृत दोस्ती की एक अद्भूत मिसाल हैं। दोनों की पारिवारिक परिस्थितियां लगभग एक समान हैं और गरीबी से उनका बचपन से ही रिश्ता है। इसी कारण रोजीरोटी की तलाश में दोनों मित्र गुजरात के सूरत शहर में पहुंच गए। जहां दोंनो कपड़ा फैक्ट्री में कपड़ा बुनने का काम कर किसी तरह से अपनी आजीविका चलाने लगे। लेकिन ईश्वर को तो कुछ ओर ही मंजूर था। दोनों के धैर्य और दोस्ती की विधाता को परीक्षा लेनी थी। कोरोना के कारण कपड़ा फैक्ट्री बंद हो गई और देशभर में  लॉकडाउन लागू हो गया। दोनों के समक्ष जीवन मरण का संकट उत्पन्न हो गया। ऐसी गरीब स्थिति में कैसे वह सूरत में रह पाते। किसी तरह से जुगाड़ तुगाड़ कर उन्होंने एक ट्रक वाले से कानपुर चलने के लिए बातचीत की। ताकि वहां से वह अपने गांव जा सकें। ट्रक वाले को भी उनकी गरीब स्थिति पर कोई तरस नहीं आया और उनसे कानपुर जाने के लिए 4-4 हजार रूपए किराया वसूला। ट्रक चालक उनके अलावा आधा सैकड़ा मजदूरों को भी साथ ले गया । भूख और तेज गर्मी के कारण अमृत की हालत खराब होने लगी। शिवपुरी जिले में उस पर बेहोशी छाने लगी और उल्टी की इच्छा होने लगी। यह देखकर अन्य मजदूरों ने ट्रक चालक पर दबाव बनाया कि उन्हें यहीं उतार दिया जाए अन्यथा उनकी भी जान को खतरा है।  दोनों दोस्तों ने काफी मिन्नत की। लेकिन उसका कोई असर अन्य मजदूरों और ट्रक चालकों पर नहीं पड़ा और कल शाम 4 बजे कोलारस के प्रवेश द्वार पर ट्रक चालक उन्हें सड़क किनारे छोड़कर ट्रक लेकर भाग गया । तेज धूप के कारण अमृत की हालत खराब होने लगी। ऐसे में उसके मित्र कय्यूम ने उसे अपनी गोद में बैठा लिया और उसे धीरज देने की कोशिश की। वहां से गुजर रहे भाजपा नेता सुरेंद्र शर्मा ने जब दो मजदूरों को सड़क किनारे बेहाली अवस्था में देखा तो मानवीयता की भावना के वशीभूत होकर वह वहां रूके। उन्होंने मो. कय्यूम से पूरी स्थिति की जानकारी ली और फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर 108 एम्बुलेंस बुलवाई। तब तक पूरे समय मो. कय्यूम अपने हिन्दु मित्र अमृत को अपनी गोद में लिटाकर पानी पिलाता रहा। एम्बुलेंस आने के बाद वह अपने मित्र को किसी तरह अन्य लोगों की मदद से एम्बुलेंस तक ले गया। उस समय उसकी हालत देखने लायक थी और अपने मित्र की दशा देखकर उसकी आंखों में से आंसू टपक रहे थे। जिला चिकित्सालय में मो. कय्यूम अंतिम सांस तक अपने मित्र के साथ रहा और इस तरह से उसने हिन्दु-मुस्लिम भाईयों की दोस्ती को एक अनूठे उदाहरण के रूप में नफरत की राजनीति करने वालों के समक्ष पेश किया।   
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