परियोजना अधिकारियों ने प्रकरण दर्ज करने को थाना प्रभारी को दिया आवेदन
शिवपुरी। बाल विवाह की सूचना पर पुलिस एवं प्रशासन की टीमों ने लॉक डाउन के बीच भी मौके पर जाकर परिजनों को बाल विवाह न करने हेतु प्रेरित करने का काम किया। अक्षय तृतीया 26 अप्रेल से लेकर 10 मई तक हर दिन जिले के विभिन्न स्थानों पर बाल विवाह रोकथाम की कार्यवाही की गई। प्रशासन के द्वारा 15 दिन में 15 बाल विवाह रोकने की कार्यवाही की। परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों के द्वारा परिजनों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों से परिचित कराया, तो परिजनों ने टीम को विवाह न करने का लिखित वचन पत्र दिया। किंतु टीम के जाते ही गुपचुप तरीके से बाल विवाह संपन्न कर लिया।
विभागीय अधिकारियों को जब बाल विवाह संपन्न होने की जानकारी लगी तो उन्होने संबंधित थाना प्रभारी को आवेदन देकर बाल विवाह करने वाले, कराने वाले एवं सहयोग करने वालों के विरुद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह करना गंभीर दंडनीय अपराध है। कानून में इसके लिये 3 वर्ष की सजा एवं एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
पिछोर और कोलारस में होगी कार्यवाही
कोलारस परियोजना अधिकारी पूजा स्वर्णकार ने तेंदुआ थाना प्रभारी को लिखित आवेदन देकर बताया है कि पवाबसई निवासी रमेश आदिवासी के द्वारा अपने अवयस्क पुत्र का बाल विवाह 4 मई को कर लिया है,जबकि संबंधित को 30 अप्रेल को मेरे द्वारा टीम के साथ जाकर विवाह न करने के लिये समझाया गया था। उन्होंने टीम को लिखित बचनपत्र दिया था कि उम्र पूर्ण होने तक विवाह नहीं करेंगे। वहीं पिछोर परियोजना अधिकारी अरविंद तिवारी ने भी थाना पिछोर में आवेदन देकर सुजावनी निवासी राधेश्याम कमरिया के विरुद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम एवं किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने को कहा है। परियोजना अधिकारी तिवारी ने बताया कि सुजावनी निवासी राधेश्याम कमरिया की 17 वर्षीय पुत्री के बाल विवाह की सूचना पर 4 अप्रेल को जाकर परिजनों को बाल विवाह न करने के लिये समझाया गया था तो उन्होंने लिखित बचन दिया कि अब उम्र पूर्ण होने पर ही विवाह करेंगे। किंतु जानकारी मिली है कि उन्होंने बाल विवाह संपन्न कर दिया है। इसलिए आपराधिक मामला दर्ज करने के आवेदन दिया है।


