लगातार दो बार के विधानसभा चुनावों में इसी भूल के कारण भाजपा पराजित हो चुकी है
शिवपुरी। करैरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा एक बार पुन: अपनी गलती दोहराती नजर आ रही है जहां पिछले लगातार दो विधानसभा चुनावों में स्थानीय एवं समर्पित भाजपा नेताओं की उपेक्षा के कारण उन्हें दोनों बार पराजय का सामना कराना पड़ा था। अब एक बार फिर से करैरा उपचुनाव में पूर्व विधायक जसवंत जाटव को टिकट देकर कहीं भाजपा कोई गलती तो नहीं कर रही है या फिर इसे भाजपा की मजबूरी कहें। परंतु जब पूर्व विधायक जाटव ने सिंधिया के समर्थन में विधायक पद से इस्तीफा दिया तो पत्रकारों ने बैंगलोर में उनसे इस्तीफा देने का कारण पूछा। तो उनका जबाव था कि हमें विधायकी नहीं करनी है। जब स्वयं ही उन्होंने ऐसी बात कही थी तो उनके मन की भावना का सम्मान कर भाजपा को टिकट काटने पर विचार करना चाहिए। भाजपा आलाकमान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस पर विचार जरूर करना चाहिए, क्योंकि अगर टिकट उन्हें मिल गया और उनकी पराजय हो गई तो इसका उन पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, परंतु इसका असर सिंधिया के भाजपा में राजनैतिक वर्चस्व पर जरूर पड़ेगा। पूर्व विधायक जाटव के डेढ़ साल का कार्यकाल से क्षेत्र के मतदाता, स्थानीय भाजपा नेता और प्रशासनिक मशीनरी भी उनके व्यवहार, आचरण और विधायकी के रूतबे से भली भांति परिचित हैं और एकाएक कांग्रेस से भाजपा में आकर भाजपा का टिकट मिलना, क्या भाजपा के निष्ठावान, समर्पित और स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं होगी। अगर वह विधायक बन गए तो भाजपा में अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की जगह नहीं बना देंगे। परंतु इन सभी बातों को भाजपा कार्यकर्ता से लेकर मतदाता भली भांति जानते समझते हैं। जब 17 माह पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जसवंत जाटव को मतदाताओं ने सिर आंखों पर बिठाया था तो अब पुन: अपने फायदे के लिए कांग्रेस से भाजपा प्रत्याशी के रूप में आकर वोट मांगेंगे तो फिर जनता को जवाब तो देना ही होगा, क्योंकि इस्तीफा देते समय उनके बोल मुझे विधायकी ही नहीं करनी है.... कुछ ऐसे थे। जब विधायकी ही नहीं करनी तो फिर दोबारा उपचुनाव क्यों लड़ रहे हैं पूर्व विधायक साहब...?
2008 के चुनाव में करैरा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था। जहां इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 70 हजार मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के हैं जिनमें से सर्वाधिक 45 हजार मतदाता जाटव हैं। जहां 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीद्वार रमेश खटीक ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से ही भाजपा को लगातार दो चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में रमेश खटीक को टिकट न देकर बाहरी उम्मीद्वार कोलारस के पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक को भाजपा ने टिकट दिया और इसका परिणाम यह हुआ कि उस चुनाव में भाजपा 10 हजार से अधिक मतों से पराजित हुई तथा कांग्रेस की श्रीमती शंकुलता खटीक विजयी रही थीं। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के प्रागीलाल जाटव रहे जिन्हें करीब 27.52 प्रतिशत मत मिले थे। ऐसा ही कुछ 2018 के विधानसभा चुनाव में हुआ और भाजपा ने पुन: बाहरी प्रत्याशी राजकुमार खटीक को टिकट दिया और 14 हजार से अधिक मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में भी बसपा प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव को 40 हजार मत मिले। वर्तमान में भाजपा प्रदेश में सत्ता में है और उपचुनाव के बाद भी कांग्रेस की तुलना में भाजपा के सत्ता में बने रहने की संभावना अधिक है। 24 विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहे उपचुनाव को भाजपा यदि 24 में से 9 सीटें भी जीत लेती है तो उसकी सरकार यथावत रहेगी। जबकि कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने के लिए सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों की जोड़तोड़ के साथ 17 सीटें और अपने दम पर सरकार बनाने के लिए 24 की 24 सीटें जीतना अनिवार्य होगी। तो ऐसे भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब दे सकती है और इन 24 सीटों में से कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल सकती है।
रेतीला विधायक की भी मिली संज्ञा...!
आपने आपको सिंधिया निष्ठा कहने वाले एवं करैरा के पूर्व विधायक जसवंत जाटव ने डेढ़ साल पहले कांग्रेस विधायक बनने के बाद अपनी प्राथमिकताओं में गिनाया था कि न तो क्षेत्र में अवैध उत्खनन होने देंगे, न ही भ्रष्टाचार और मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था, परंतु इसके बाद से ही करैरा विधानसभा क्षेत्र में अवैध उत्खनन एवं भ्रष्टाचार जमकर हुआ तथा पूर्व विधायक पर जमकर रेत का उत्खनन कराने के आरोप भी लगे और उन्हें रेतीला विधायक की संज्ञा भी मिली...? जब उनकी प्राथमिकता में क्षेत्र में अवैध उत्खनन न होने देना शामिल था तो फिर क्यों क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन होता रहा। क्यों उन्होंने अवैध उत्खनन के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला। अगर अधिकारी नहीं सुन रहे थे तो क्यों विधानसभा में यह मामला नहीं उठाया या फिर उन पर लगे आरोपों में सच्चाई है। यह मामला अभी हाल ही में जब भाजपा विधानसभा प्रभारी द्वारा भाजपा कार्यालय पर पत्रकारवार्ता आयोजित की गई थी तो अधिकांश मीडिया ने उनसे करैरा के पूर्व विधायक को रेत के अवैध कारोबार में लिप्त होने की बात कही।