कांग्रेस अभी भी मंथन में, पोहरी उपचुनाव मेें धाकड़ उम्मीदवार को टिकट दें अथवा अन्य को

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प्रमुख दावेदारों में हरिवल्लभ, प्रधुम्र, विनोद धाकड़ और कैलाश का नाम 
शिवपुरी। कांग्रेस ने 27 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में मंथन विचार विमर्श और सर्वे रिपोर्ट के बाद 17 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। लेकिन शेष 15 सीटों के लिए अभी भी मंथन का दौर जारी है और इन  विधानसभा क्षेत्रों की सर्वे रिपोर्ट भी अभी प्राप्त नहीं हुई है। इनमेें शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट भी है। जबकि जिले की दूसरी सीट करैरा से कांगे्रस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। बसपा से आए प्रागीलाल जाटव को कांग्रेस का टिकट दिया गया है। 
पोहरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार को 1985 के बाद सफलता हांसिल नहीं हुई है। कांग्रेस या भाजपा दोनों ही पार्टियों ने या तो ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट दिया है अथवा धाकड़ उम्मीदवार को इसके अलावा अभी तक किसी भी अन्य जाति के उम्मीदवार को प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। आम तौर पर इस विधानसभा क्षेत्र में होता यह रहा है कि यदि एक प्रमुख दल धाकड़ उम्मीदवार को टिकट देता है तो दूसरा दल ब्राह्मण उम्मीदवार पर दाव लगाता है। लेकिन भाजपा ने यदि धाकड़ उम्मीदवार को टिकट दिया तो कांग्रेस का ब्राह्मण उम्मीदवार किसी भी चुनाव में जीत नहीं पाया। कांग्रेस को 1985 के बाद सिर्फ दो बार 1993 और 2018 में ही जीत हांसिल हुई। वह भी उस स्थिति में जबकि कांग्रेस ने भाजपा के धाकड़ उम्मीदवार के मुकाबले स्वयं भी धाकड़ उम्मीदवार को टिकट दिया। 1993 में भाजपा के जगदीश वर्मा के मुकाबले कांग्रेस ने उनकी ही जाति की बैजंती वर्मा को टिकट दिया और बैजंती वर्मा चुनाव जीत गई। यह प्रयोग कांग्रेस  ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दोहराया। जब भाजपा  ने धाकड़ जाति के उम्मीदवार  प्रहलाद भारती को तीसरी बार टिकट दिया। लेकिन कांग्रेस के धाकड़ उम्मीदवार सुरेश राठखेड़ा ने उन्हें पराजित कर दिया। इस उदाहरण से कांग्रेस अभी पशोपेश में हैं। भाजपा की ओर से लोक निर्माण राज्यमंत्री धाकड़ समुदाय के सुरेश राठखेड़ा की उम्मीदवारी तय है। उनके मुकाबले प्रदेश कांग्रेस ने पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला को टिकट देने का मन  बनाया था। लेकिन 1993 और 2018 के उदाहरण ने कांगे्रस को पुन: सोचने के लिए विवश कर दिया है। कांग्रेस के धाकड़ उम्मीदवार विनोद धाकड़ और प्रधुम्र वर्मा टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। प्रधुम्र वर्मा की पैरवी उनके रिश्तेदार और पोहरी विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी राजकुमार पटेल कर रहे हैं। लेकिन जनाधार की दृष्टि से विनोद धाकड़ का पल्लड़ा भारी नजर आ रहा है। ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला भी प्रवल दावेदार हैं। हरिवल्लभ दो बार पोहरी से जीत चुके हैं और दो बार पराजित भी हो चुके हैं। वह एक बार कांग्रेस टिकट से 1980 मेें और दूसरी बार समानता दल से 2003 में विधायक बने। लेकिन 2008 में बसपा प्रत्याशी के रूप में और 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। इनके अलावा  पहली बार कांग्रेस में गैर धाकड़ और गैर ब्राह्मण उम्मीदवार पर भी विचार चल रहा है और दौड़ में बसपा प्रत्याशी घोषित हुए कैलाश कुशवाह बने हुए हैं। कैलाश कुशवाह ने 2018 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए 53 हजार मत प्राप्त किए थे और भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। देखना यह है कि अंतत: पोहरी में कांग्रेस किसे टिकट देती है। 
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