गुना और ग्वालियर दोनों सीटों पर रायशुमारी में केन्द्रीय मंत्री सिंधिया का नाम
शिवपुरी। आगामी लोकसभा चुनाव में राज्यसभा सांसद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का लडऩा तय माना जा रहा है। भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर वरिष्ठ नेताओं को भेजकर रायशुमारी की और रायशुमारी में श्री सिंधिया का नाम ग्वालियर और गुना दोनों लोकसभा सीटों पर उभरकर सामने आया है। गुना सीट पर रायशुमारी में उनके अलावा सांसद केपी यादव का नाम है। वहीं ग्वालियर सीटर पर सिंधिया के अलावा माधवशंकर इंदापुरक, जयभान सिंह पवैया, और विवेक शेजवलकर का नाम है। भाजपा सूत्रों ने बताया कि गुना और ग्वालियर दोनों लोकसभा क्षेत्रों के भाजपा सांसदों का टिकिट काटा जा सकता है।
प्रदेश भाजपा ने गुना लोकसभा सीट पर रायशुमारी के लिए प्रदेश सरकार के मंत्री श्रीमती कृष्णागौर और सुरेश आर्य को भेजा था। जबकि ग्वालियर सीट पर रायशुमारी के लिए कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल और वरिष्ठ भाजपा नेता शैलेन्द्र शर्मा आए थे। दोनों लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा के पदाधिकारियों से उनकी पसंद के तीन उम्मीदवारों का नाम लिख कर देने को कहा गया था। खास बात यह थी कि पदाधिकारी अपना स्वयं का नाम नहीं लिख सकते थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करने हेतु जमीनी स्तर पर रायसुमारी की गई है। इसमें कैबिनेट मंत्रियों केे साथ प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों ने अपने-अपने इलाके की लोकसभा सीटों पर राय रखी। रायशुमारी में मुख्य रूप से जो नाम सामने आए हैं उन नामों की सूची लेकर आज सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा दिल्ली के लिए रवाना हो गए। दिल्ली में उनकी पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा संगठन महामंत्री बीएल संतोष और राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों से चर्चा होगी। सूत्र बताते हैं कि 29 फरवरी को दिल्ली में होने वाली केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद कभी भी भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची आ सकती है।
2019 के चुनाव में सिंधिया को हराया था केपी यादव ने
ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव जीत चुके हैं, इस कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनका जीतना तय माना जा रहा था। भाजपा ने जब डॉ. केपी यादव को चुनाव मैदान में उतारा तो राजनैतिक हलकों में यह चर्चा थी कि वह डमी कैन्डीडेट हैं और उन्हें हराने में सिंधिया को कोई दिक्कत नहीं आएगी। यह आंकलन इसलिए था कि केपी यादव कांग्रेस से आए थे और कांग्रेस में वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर अनुयायी थे। भाजपा में वह इसलिए शािमल हुए थे कि क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें अशोक नगर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार नहीं बनाया था। 2019 के चुनाव में भाजपा ने हारी हुई लड़ाई लड़ी थी और पोलिंग बूथों पर भी भाजपा के कार्यकर्ता मौजूद नहीं थे। बसपा उम्मीदवार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में चुनाव मैदान से हट चुका था। लेकिन इस प्रतिकूल स्थिति के बाद भी मोदी लहर में डॉ. केपी यादव चुनाव जीत गए और उन्होंने श्री सिंधिया को लगभग सवा लाख मतों से पराजित किया। परन्तु अब जब लगभग यह तय माना जा रहा है कि इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा को जीतने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। सिंधिया भी भाजपा में आ चुके हें तब इस अनुकूल स्थिति में केपी यादव के टिकिट कटने की संभावनाऐं व्यक्त की जा रही है।


