-मुख्यमंत्री के वयान पर संविदा कर्मचारियों ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
-पांचवे दिन भी जारी रही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल
शिवपुरी। मुख्यमंत्री मोहन यादव के मप्र के कर्मचारियों में हर्ष व्याप्त है वाले वयान पर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मप्र के कर्मचारियों में हर्ष नही रोष व्याप्त है। सरकार कर्मचारियों की सुन नहीं रही है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र की हठधर्मिता के चलते पिछले पांच दिन से हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं, लेकिन सरकार को कोई नुमाइंदा सारगर्भित चर्चा के लिए अब तक पहल नही कर सका है। जिससे कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि मप्र राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी नई संविदा नीति के विरोध में हड़ताल पर गए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों शिवपुरी के तात्याटोपे पार्क में डेरा जमाए वैठे हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल आज पांचवे दिन भी बड़े ही जोर-शोर से जारी रही। जहां उन्होंने थाली गाली के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहित मप्र सरकार को कोसा। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष शेर सिंह रावत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पर तानाशाही पूर्व नीति का अनुसरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कोविड जैसी महामारी में प्राण प्रण से सेवाएं देने वाले कर्मचारियों की सुध नहीं ले रही हैं। इससे भी गंभीर चिंता का विषय है सरकार को ठप्प स्वास्थ्य सेवाओं के चलते परेशान हो रहे मरीजों की फ्रिक भी नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को कई अल्टीमेटम देने के बाद भी कर्मचारियों की सुनवाई नहीं की जा रही है। इससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त है जबकि मप्र सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री मोहन यादव मीडिया में बयान दे रहे कि मप्र के कर्मचारियों में हर्ष व्याप्त है। मप्र में संविदा कर्मचारी हो या रिटायर्ड कर्मचारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला सचिव सुनील जैन ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटीलेटर आ गई हैं वहीं अब तक सरकार या एनएचएम की ओर से हड़ताली कर्मचारियों से कोई सार्थक चर्चा की पहल नहीं की गई है जिससे हालात और भी गंभीर होते जा रहे हैं। कर्मचारियों में लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। संघ के प्रवक्ता अखिलेश शर्मा ने कहा कि सरकार में आज वह लोग काबिज है जिन्होंने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ स्वयं आंदोलन किए हैं , लेकिन वह संवदि कर्मचारियों की पीड़ा को क्यूं नहीं समझ पा रहे हैं यह आश्चर्यजनक है। जबकि संविदा कर्मचारियों की मांग पूर्णत: स्पष्ठ है कि पूर्व भाजपा सरकार द्वारा घोषित नीति को लागू किया जावे। नवीन संविदा नीति को समाप्त किया जाना चाहिए। नवीन नीति पूर्णत: भाजपा के घोषणा पत्र के विपरीत है इससे कर्मचारी आक्रोशित हैं।


