शिवपुरी। सिर्फ 6 महीने पहले सजी थीं महिंदियों से रंगी हथेलियां, गूंजी थीं शहनाइयों की धुनें और जगमगाए थे सपनों के आंगन। पर किसे पता था कि यही 6 माह के भीतर 2 नवविवाहिताओं की जिंदगी इतनी बेरहमी से दहेज की अंधेरी सुरंग में समा जाएगी!
करैरा कस्बे की बबीता साहू उम्र 25 वर्ष और फतेहपुर की हफिसा शाक्य उम्र 21 वर्ष दोनों ने वैवाहिक जीवन की पहली दहलीज भी पूरी तरह नहीं पार की थी कि मौत ने उन्हें चुपचाप अपने आगोश में ले लिया। बबीता का शव अधूरे निर्माणाधीन मकान की सीढ़ियों पर फंदे से लटका मिला, वहीं हफिसा का शव कमरे में रस्सी पर झूलता पाया गया। दोनों के मायके वालों ने दर्द से भरे स्वर में आरोप लगाया कि ये आत्महत्या नहीं, ये दहेज के खूनी पंजों से हुई हत्या है। हफिसा के परिवार ने बताया कि शादी में लाखों रुपए देने के बावजूद पति और ससुरालजन उसे अतिरिक्त दहेज के लिए प्रताड़ित करते रहे। वहीं, बबीता के मायके वालों ने साफ कहा कि उनकी बेटी की मौत एक साजिश है। छह माह पहले चूड़ा, बिछुए और सिंदूर के साथ जिन जिंदगियों ने नया सफर शुरू किया था, आज वही सफर मौत की सीढ़ियों पर थम गया। दोनों मासूम नवविवाहिताएं समाज के लिए मूक सवाल बनकर रह गईं कि क्या दहेज की यह आग कभी बुझेगी? पुलिस ने दोनों मामलों में पैनल से पोस्टमार्टम कराया है और जांच शुरू कर दी है। लेकिन परिजनों की आँखों में सवाल है और दिल में दर्द उनकी बेटियाँ लौटकर तो कभी नहीं आएंगी।


