-हर प्रसव केंद्र है शिशु स्वागत केंद्र जहां बच्चे को समर्पित किया जा सकता है
-आपको जिसकी जरूरत नहीं,वह किसी सूने आंगन में खुशियां ला सकता है
शिवपुरी। प्रतिकूल परिस्थितियों में व्यक्ति को वह कार्य भी करने पड़ते है जिन्हें वह नहीं करना चाहता। वह क्षण परिस्थितियों की प्रतिकूलता की चरमसीमा ही कहा जायेगा जब कोई मां अपने नवजात को सुनसान झाड़ियों में सिसकता हुआ छोड़ जाती है। मां तो ममता की मूर्ति होती है वह इतनी निष्ठुर कैसे हो सकती। उसके इस निर्णय के पीछे जो कारण रहा वह अवस्य ही इतना बड़ा रहा होगा, जिसके आगे ममता को हारना पड़ा। कभी अनचाहा गर्भ तो कभी अनैतिक कार्यों से गर्भधारण। कभी कन्या शिशु की चाहत न होना जैसे अनेकानेक कारण हो सकते है। तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल भी इसका प्रमुख कारण है।
कलंकित होती मां की ममता
परिस्थितियां जो भी रहीं हो जब भी इस प्रकार की घटनाएं होती है तब कलंकित मां की ममता को ही होना पड़ता है। हालांकि इसके लिये सिर्फ महिला ही नहीं पर्दे के पीछे खड़ा पुरुष सबसे अधिक जिम्मेदार है। अपनी एक भूल को छुपाने के लिये नवजात को कचरे के ढेर में फेंक देना दूसरी सबसे बड़ी भूल है। भारतीय कानून में इसे गंभीर अपराध माना गया है। यह परिस्थितियां भी हमारी अज्ञानता की ही उपज होती है,इस परिस्थिति से निजात के लिये हमारे पास दूसरे भी रास्ते है। जब भी इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित हों तब समझदारी से काम लेना चाहिये। ममता और मानवता को कलंकित कर जिस अनचाहे बच्चे को मौत के मुंह में घकेला जा रहा है, वह किसी के सूने आंगन में खुशियां ला सकता है।ऐसे बहुत से लोग है जो आपके अनचाहे पर चाहत लुटाने की आश लगाकर बैठे है। शासन- प्रशासन द्वारा प्रत्येक प्रसव केंद्र को शिशु स्वागत केंद्र का दर्जा दिया गया है। जहां कोई भी जन्म के तत्काल बाद अपने बच्चे को समर्पित कर सकता है तथा उसकी पहचान भी पूरी तरह गोपनीय रखी जायेगी। ऐसा करने से जहां एक ओर आपकी ममता कलंकित होने से बचेगी वहीं दूसरी ओर एक सूनी गोद में खुशियों की किलकारी गूंजेगी।
कहां कर सकते है समर्पण
यदि अनचाहे गर्भ के कारण कोई अपने बच्चे को समर्पित करना चाहता है तो उसके लिये वह अपने गांव या वार्ड की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता , आशा कार्यकर्ता को भी बता सकता है।अपने नजदीकी प्रसव केंद्र या बाल विकास परियोजना कार्यालय पर संपर्क कर सकता है।चाइल्ड लाइन नम्बर 1098 पर बताया जा सकता है। बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण कार्यालय में भी बच्चे का समर्पण किया जा सकता है। जिला चिकित्सालय में संचालित पालना ग्रह में बच्चे को छोड़ सकता है। इसके लिये उसे पहचान बताना भी जरूरी नहीं होगा। किसी प्रकार की समस्या हो तो मुझे 9425756400 पर कॉल अथवा व्हाट्सएप के माध्यम से भी अवगत कराया जा सकता है।
60 दिन तक वापस भी ले सकते है
60 दिन तक वापस भी ले सकते है
यदि समर्पणकर्ता समर्पण पश्चात बच्चे को बापस लेना चाहे तो वह 60 दिन के अंदर अपने बच्चे को बापस भी ले सकता है। किंतु 60 दिन के पश्चात बच्चे को गोद देने के लिये विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित कर दिया जाता है।
यहां वहां नहीं पालने में गूंजे किलकारी
गत दिवस जिले के बैराड़ थाना क्षेत्र में 6-7 माह की बालिका को सड़क के किनारे छोड़ जाना, कुछ महीने पहले नबाब साहब रोड पर नाले में एक नवजात मिला था,जो पुलिस के पहुंचने से पहले ही मृत हो गया। कुछ महीने पहले एक नवजात फिजिकल थाना क्षेत्र में मिला.... इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये जागरूकता एवं संबेदनशीलता बेहद आवश्यक है। बच्चों को फेंके नहीं उसे पालने में छोड़ दें।प्रशासन पालने में रखे बच्चे को सुरक्षित जीवन देने के साथ साथ निसंतान परिवारों को बच्चा गोद देकर उन्हें खुशियां देने का काम करेगा।
-राघवेंद्र शर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, जिला शिवपुरी (म.प्र.)


