भाजपा नेताओं द्वारा सिंधिया की तारीफ करना कहीं उन्हें ललचाने का प्रयास तो नहीं

MP DARPAN
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उन्हें सिंधिया लगने लगे हैं अब लोकप्रिय व जनाधार सम्पन्न नेता 
शिवपुरी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोसने वाले भाजपा नेता अब उनकी तारीफों के कसीदे काड़ रहे हैं। भाजपा ने उस चुनाव में अपने आक्रमण की धार सिंधिया पर केन्द्रित कर नारा दिया था माफ करो महाराज, हमारे नेता तो शिवराज। लेकिन लोकसभा चुनाव में सिंधिया की पराजय के बाद भी पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेताओं के सुर बदले हुए हैं। सिंधिया अब अचानक उनके लिए लोकप्रिय और जनाधार वाले नेता बन गए हैं। इसलिए यह सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या भाजपा सिंधिया को अपनी पार्टी में लाने की कोशिश में तो नहीं जुटी है। सिंधिया के खिलाफ आग उगलने वाले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया भी सिंधिया के भाजपा में संभावित प्रवेश को लेकर पूछे जाने वाले सवालों पर सोच समझकर जबाव दे रहे हैं। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने तो सिंधिया की तारीफों के पुल बांध दिए हैं। भाजपा नेता कहने लगे हैं कि कांग्रेस में सिंधिया के साथ ठीक व्यवहार नहीं हो रहा। 
सिंधिया को लेकर राजनैतिक हल्कों में सरगर्मी तब बड़ी जब प्रदेश सरकार की मंत्री सिंधिया समर्थक इमरती देवी ने साफ-साफ कहा कि वह सिंधिया को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दिए जाने से खुश नहीं है। उनका कहना था कि सिंधिया को जिम्मेदारी मिले तो मध्यप्रदेश की दी जाए। महाराष्ट्र में उन्हें कौन पूछेगा। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर भाजपा के पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने सिंधिया की प्रश्रता करते हुए कहा कि कांग्रेस उनकी बेकदरी कर रही है। बकौल सारंग, सिंधिया जनता के बीच पैंठ वाले जुझारू नेता हैं और राहुल गांधी एंड कम्पनी उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रही है। सारंग ने यहां तक कहा कि सिंधिया कद में और हर स्तर पर राहुल गांधी से आगे हैं। ऐसे में राहुल गांधी को डर लगता है कि कहीं सिंधिया उन्हें चैलेंज न कर दें। सिंधिया जुझारू और उमंग से भरे हुए नेता हैं। इसलिए कांग्रेस में उनके कद को कम करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। पहले उन्हें मध्यप्रदेश से हटाकर उत्तरप्रदेश भेजा गया और अब महाराष्ट्र भेज दिया गया है। यह माना जा रहा है कि सिंधिया को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाकर एक तरह से उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से एक सोची समझी रणनीति के तहत बाहर कर दिया गया है। सिंधिया के हार से प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस में उनके विरोधियों के हौंसले बुलंद हैं और कहा जा रहा है कि वे सिंधिया का राजनैतिक  रूप से अबमूल्यन करने में जुटे हैं। राहुल गांधी के  अध्यक्ष पद से हटने से भी कांग्रेस में सिंधिया की स्थिति कमजोर हुई है और इस मौके का फायदा उठाकर भाजपा उन्हें ललचाने में लगी हुई है। इसी कारण भाजपा के नेता चाहे कैलाश विजयवर्गीय हो, शिवराज सिंह चौहान हों, या विश्वास सारंग सब सिंधिया की क्षमताओं का गुणगान कर रहे हैं। इससे लगता है कि सिंधिया को भाजपा में शामिल करने को लेकर कहीं न कहीं खिचड़ी पक रही है। 
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