नाराजगी की खबरों के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही थी पत्रकारवार्ता
शिवपुरी। पिछोर विधानसभा क्षेत्र से 6 बार से लगातार जीत रहे कांग्रेस विधायक केपी सिंह प्रतिवर्ष 25 अगस्त को वार्षिक गोठ का आयोजन करते हैं और इस गोठ में राजनेताओं पत्रकारों गणमान्य नागारिकों और समाजसेवियों को वह आमंत्रित करते हैं। इस बार विधायक केपी सिंह ने पत्रकारों को गोठ के न्यौते के साथ-साथ पत्रकारवार्ता का भी आमंत्रण दिया। उनकी नाराजगी की खबरों के बीच यह पत्रकारवार्ता महत्वपूर्ण मानी जा रही थी और इस पर सभी की नजरे लगी थी। लेकिन डेढ़ घंटे पहले अचानक केपी सिंह ने पत्रकारवार्ता स्थगित कर दी। उनके समर्थकों ने फेसबुक पर पोस्ट डाली कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में व्यस्तता के कारण कक्काजू (केपी सिंह) कार्यक्रम में थोड़ा विलम्ब से आएंगे। इसलिए पत्रकारवार्ता स्थगित की जाती है। लेकिन यह दलील मीडिया को समझ नहीं आई। क्योंकि देर से आने के बाद भी वह चाहते तो पत्रकारवार्ता ले सकते थे। लेकिन माना जा रहा है कि या तो पार्टी से मिले संकेतों अथवा पार्टी के निर्देशों के कारण विवादों से बचने के लिए उन्होंने यह पत्रकारवार्ता स्थगित की। हालांकि इस बार केपी सिंह की वार्षिक गोठ में रौनक खूब देखने को मिली। अभी तक अधिकांश सिंधिया समर्थक इस गैर राजनैतिक भोज के कार्यक्रम से नाराजगी की डर की बजह से दूरी बनाते थे। लेकिन इस बार अधिकांश सिंधिया समर्थकों ने दिग्विजय सिंह खैमे के विधायक केपी सिंह की पार्टी की रौनक बढ़ाई। जिसमें प्रमुख रूप से करैरा विधायक जसवंत जाटव, जिला कांग्रेस अध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ लढ़ा और शैलेंद्र टेडिय़ा, प्रदेश कांग्रेस महामंत्री हरवीर सिंह रघुवंशी, प्रदेश कांग्रेस मंत्री विजय शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह, जिला कांग्रेस महामंत्री संदीप माहेश्वरी, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता विनोद धाकड़ एडवोकेट सहित अधिकांश सिंधिया समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे।
विधायक केपी सिंह प्रदेश मंत्री मंडल में मंत्री पद के नेसर्गिक दाबेदार हैं। क्योंकि वह लगातार 6 बार से कांग्रेस के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद पिछोर से चुनाव जीत रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें अपने मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया। इसके पीछे कारण क्या है, इसके बारे में राजनैतिक परिवेक्षकों के अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सिंधिया के बीटों के कारण कमलनाथ मंत्री नहीं बने जब कुछ लोग इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर दोषारोपण करते हैं। लेकिन मंत्री न बनने से केपी सिंह के मन की पीड़ा समय-समय पर स्पष्ट होती रही है। पिछले दिनों अपने निर्वाचन क्षेत्र पिछोर में सभा को संबोधित करते हुए केपी सिंह ने अपनी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार आने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जो बदलाव की उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। कांग्रेस की हार से स्पष्ट है कि जनता कांग्रेस से नाराज है। कांग्रेस के कई सीनियर लीडर जिनमें राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं, चुनाव हार गए। प्रदेश में जैसा बदलाव देखने की आशा थी वह देखने को नहीं मिल रहा है। केपी सिंह ने अप्रत्यक्ष तौर पर कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा था और बाद में उनके बयान का समर्थन बसपा के दोनों विधायकों रामबाई और संजू ने किया था। ऐसी स्थिति मेें वार्षिक गोठ में पत्रकारवार्ता से इस मामले के और तूल पकडऩे की आशा थी। पत्रकारवार्ता में केपी सिंह से उनके कथन के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण मीडिया द्वारा मांगा जाता। लेकिन अचानक कक्काजू ने पत्रकारवार्ता स्थगित कर दी।


