तिनका तिनका जोड़कर आशियाना बनाते मोहन यादव

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   ✍️आलोक एम इन्दौरिया

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जिस तरह से तिनका, तिनका जोड़कर नया मध्य प्रदेश गढ़ रहे हैं , देश ही नहीं विश्व के नक्शे पर मध्य प्रदेश को लाने और छाने का काम कर रहे हैं, चहुमुखी विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसरों को बेहद कुशलता से सृजित करने का काम शांत भाव से कर रहे हैं। तय मानिये इसके चलते आगामी 2 सालों के बाद मध्य प्रदेश की तस्वीर कुछ और ही होगी । बेशक मोहन यादव के विकास को लेकर चल रहे जबरदस्त संघर्ष के परिणाम तत्काल दिखाई नहीं दे रहे हों, लेकिन आगामी 2 साल बाद जब इसके नतीजे सिलसिले वार आना शुरू होंगे तो यकीन मानिए मध्य प्रदेश की तस्वीर में कई नए रंग भरे हुए दिखाई देने लगेंगे। जो रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग , कृषि , दूध डेयरी, पशुपालन, कृष्ण पाथेय समेत विकास के सभी आवश्यक क्षेत्रों के होंगे । यह सब मिलकर एक ऐसा गुलदस्ता तैयार करेंगे जो देश भर में मध्य प्रदेश की एक नई पहचान साबित होगा।

मप्र के मुख्यमंत्री के रूप में लगभग 19 माह पहले कमान संभालने वाले मोहन यादव बेशक पहले एक सामान्य मंत्री के रूप में जाने जाते थे, लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने कॉलेज की शिक्षा में जो आमूल चूल परिवर्तन किया बो आज मील के पत्थर साबित हो रहे हैं‌। मंत्री के रूप में उनका दीर्घ अनुभव नहीं था मगर मोहन यादव बेहद विजनरी हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता। एक मुख्यमंत्री के रूप में जिसका कोई गुट या खेमा ना हो ऐसा व्यक्तित्व जब मुख्यमंत्री की गादी पर बैठता है तो उसके सामने भीतर की चुनौती बहुत होती हैं। मोहन यादव के तारतम्य में यह इसलिए उद्धृत करना लाजमी है क्योंकि उनसे बेहद वरिष्ठ विधायकों को आज मोहन यादव के नेतृत्व में काम करना पड़ रहा है। मगर अपने कार्य , व्यवहार से मोहन यादव ने इन सभी वरिष्ठों को यह कभी जाहिर नहीं होने दिया कि वह एक मुख्यमंत्री है । डॉ मोहन यादव का व्यवहार सभी से न केवल अपनत्व से परिपूर्ण है बल्कि अहंकार से रहित है, इसमें दो मत नहीं है।

राजकाज तो एक सिस्टम के तहत नियम और कायदे से प्रशासनिक मशीनरी के द्वारा मंत्रीमंडल के नेतृत्व में चलाया जाता रहता है ।लेकिन मोहन यादव ने खुद को और पूरी सरकार को मध्य प्रदेश के सर्वांगीण विकास पर फोकस किया। वह मध्य प्रदेश के युवाओं की बेरोजगारी और उद्योगों की भारी कमी से भली भांति परीचित थे।उन्होंने बेहतर प्रशासन और विकास के साथ-साथ अपना पूरा ध्यान औद्योगिक विस्तार और रोजगार के नये अवसरों का सृजन करने के काम पर फोकस किया और ऐसा फोकस किया की मात्र 19 महीने के छोटे से कार्यकाल में औद्योगिक विकास और रोजगार के नये अवसरों का सृजन करके उन्होंने अपनी सफलता की एक नई इबारत लिख दी। जो शायद मध्यप्रदेश के इतिहास में एक नजीर बन गई है। शायद यही कारण है कि मप्र जो देश के मध्य में स्थित है वो अब उद्योग, फार्मा, कृषि, रक्षा निर्माण के साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और खनिज का भी हब बनता जा रहा है । यह सब ऐसे ही नहीं हुआ है बल्कि इसके लिए मोहन यादव सरकार ने प्रदेश में निवेश आए और निवेशक को तकलीफ ना हो इसके लिए बाकायदा एक ऐसा अभियान चलाया हुआ है। ऐसा इकोसिस्टम बनाया हुआ है जिसकी मॉनिटरिंग खुद मोहन यादव कर रहे हैं । बीते डेढ़ साल में डॉ मोहन यादव ने म प्र की देश के विभिन्न स्थानों और दुनिया में न केवल शानदार ब्रांडिंग की है बल्कि इस प्रदेश की सभी ख़ासियतों को भी बहुत बेहतर ढंग से पहुंचाया भी है ।

मोहन यादव सरकार का जो सबसे बड़ा कदम है वह यह कि अब मध्यप्रदेश से कृषि और खनिज जिसका वह सबसे बड़ा उत्पादक है, का कच्चा माल अब अकेला बाहर नहीं जाएगा बल्कि इनसे संबंधित प्रसंस्करण यूनिटों को मध्य प्रदेश के सभी क्षेत्रों में कृषि और खनिज की उपलब्धता के अनुसार लगाया जाएगा। ताकि इससे न केवल रोजगार की हजारों अवसर सृजित होंगे बल्कि कृषि के साथ खनिजों का भी उचित मूल्य लोगों को मिलेगा । जिसका लाभ अंतिम छोर यानी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी बहुत असर कारक होगा। 

प्रदेश की 70 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र से ही है जो इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी है। शायद यही कारण है कि मोहन सरकार ने मध्यप्रदेश के सभी संभागों में उद्योग समिटों को न केवल आयोजित किया बल्कि निवेशकों को इन सुदूर क्षेत्रों तक ले जाने में कामयाबी भी हासिल की ।यह डॉ मोहन यादव का ही प्रयास रहा कि उन्होंने ने मध्य प्रदेश के ग्रामों का भोजन यानि मिलेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार और बाजार दिलाने का काम बखूबी अंजाम दिया।

मोहन सरकार के प्रयासों से अभी तक १९ माह के कार्यकाल में 77 औद्योगिक इकाइयों का लोकार्पण कर दिया गया। यह छोटी नहीं, एक बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसमें जहां लगभग 1400 करोड रुपए का प्रदेश में निवेश हुआ तो वही लगभग 4500 से 5000 के बीच लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला। खास बात यह है कि प्रदेश में अब तक डेढ़ सैकडा औद्योगिक इकाइयों का शिलान्यास भी संपन्न हो गया। जिसके चलते करीब 7400 करोड़ का निवेश के साथ-साथ 14000 के लगभग रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उम्मीद यह भी है कि जिस तरीके से एल ओ आई जारी हुए हैं । उसके अनुसार करीब लगभग 29000 करोड़ का निवेश और 66000 के लगभग रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। जो बहुत बड़ी सफलता होगी। इसी तरह 909 खनिज ब्लॉकों के लिए 3 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव भी मिले हैं । जो खनिज के क्षेत्र में मध्य प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। इसी तरह जीआईएस और रीजनल सम्मिट दोनों को मिलाकर कुल जहां डेढ़ लाख करोड़ से अधिक का निवेश आएगा। वही एक लाख पचास हजार से अधिक नए रोजगार भी उपलब्ध होंगे ‌, यानि उद्योग, खनिज, पर्यटन ,कृषि और डेयरी समेत अब ऐसा कोई भी सेक्टर डॉ मोहन यादव सरकार ने नहीं छोड़ा जहां से रोजगार उपलब्धि के साथ-साथ आय के नये साधन न बने । 

निश्चित रूप से यह मोहन सरकार की वह उपलब्धि है जो उसे विशिष्ट बनाती है‌। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जीआईएस में उपस्थित होकर न केवल मोहन यादव के कामों पर मोहर लगाई बल्कि हौसला भी दिया की मध्य प्रदेश की तस्वीर और तकदीर को चमकाओ ,केंद्र सरकार आपके साथ बराबर खड़ी हुई है। यह मोहन सरकार का ही कमाल है की मध्य प्रदेश के निर्यात में 1 वर्ष में 6% की बढ़ोतरी होकर अब यह निर्यात 66218 करोड़ का हो गया यह चमत्कार नहीं तो और क्या है ? आर्थिक विकास और निर्यात की बदौलत मध्य प्रदेश राष्ट्रीय रैंकिंग में 15 नंबर से 11वें नंबर पर पहुंच गया और इसे भी मोहन यादव सरकार की उपलब्धियां की फ़ेहरिस्त में गिना जा सकता है ।

बरहाल मध्य प्रदेश केवल निवेश को आमंत्रित नहीं कर रहा बल्कि निवेशकों को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है जो किसी उद्योग को लगाने और चलने के लिए आवश्यक होती है। खुद समिट में उद्योगपतियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि जितनी तेजी से हमारे सारे काम नौकरशाह और सरकारी तंत्र कर रहा है, अवर्णनीय है। यह कथन मोहन सरकार की अपने काम के लिए प्रतिबद्धता और लगन को दर्शाने के लिये काफ़ी है। 

डॉ मोहन यादव ने अपनी जिजीविषा और कड़ी मेहनत से प्रदेश को एक विकसित औद्योगिक प्रदेश बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया है। उद्योग लगने लगे हैं, कुछ निर्माणधीन है और कुछ लगने वाले हैं । मगर जिस दिन से यह सभी प्रोडक्शन में आ जायेंगे ,आप कल्पना नहीं कर पायेंगे कि औद्योगिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश का देश में क्या मुकाम होगा । कोई बड़ी बात मत समझिए की संभव है आगामी 5 साल बाद मध्य प्रदेश गुजरात जैसे विकसित राज्य के समकक्ष आ जाए । बेशक डॉ मोहन के प्रयासों का तत्काल लाभ नहीं मिलेगा और न अल्प समय में दिखेगा । मगर 2 साल के बाद उत्पादन की जब श्रृंखला बनना प्रारंभ होगी, रोजगार मिलने का लगातार सिलसिला शुरू होगा ,शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार के दरवाजे खुलेंगे, आप यकीन मानिए प्रदेश यदि हवा से बातें करने लगे तो अचंभा मत कीजिएगा ।बस जरूरत है धैर्य और सभी चीजों को लाइन अप होने की। इसके लिए आवश्यक है कि सरकारी मशीनरी अपना फर्ज और दायित्व सही तरीके से निभाए। यदि मोहन सरकार की मेहनत सफल हो गई ,जो कि होगी तो आप तय मानिए मोहन यादव का नाम मध्य प्रदेश के विकास पुरुष के रूप में न केवल जाना जाएगा बल्कि यह मिथक भी बन जायेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार है)

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