केंद्रीय मंत्री सिंधिया ट्रैक्टर चलाकर कलोरा पहुँचे, आंसुओं में ढूँढा भरोसे का संबल

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गुना।
सियासत की चकाचौंध से दूर, आज गुना के बाढ़ प्रभावित कलोरा गाँव में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गाँव पहुँचे तो ना किसी काफ़िले का दिखावा था, ना मंच का शोर, बल्कि एक नेता का संवेदनशील हृदय था, जो सीधे जनता के दुख-दर्द में शामिल होने आया था।

किसान के रूप में गाँव पहुँचे

सिंधिया ने ट्रैक्टर की स्टीयरिंग थामी और मिट्टी की राहों से गुजरते हुए सीधे बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुँचे। यह दृश्य गाँव के हर बुजुर्ग और बच्चे की आँखों में उम्मीद की चमक ले आया। लोगों ने कहा कि नेता नहीं, अपने बेटे की तरह आए हैं।

आंसुओं में ढाढ़स, शब्दों में भरोसा

किसी ने घर उजड़ने की पीड़ा सुनाई, किसी ने अपनों को खोने का दर्द बाँटा। सिंधिया ने हर परिवार की बात बड़े धैर्य से सुनी, आँसुओं में ढाढ़स बंधाया और कहा कि आप अकेले नहीं हैं, सरकार और मैं हमेशा आपके साथ खड़े हैं।

डैम का जज्बा, ग्रामीणों को सलाम

कलोरा डैम की टूटी दीवार के सामने खड़े होकर सिंधिया ने उन ग्रामीणों और कारीगरों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने तीन दिन में ही क्षति की मरम्मत कर डाली। उन्होंने कहा कि यह आपके साहस और एकजुटता की मिसाल है।

आस्था से आरंभ, सेवा पर समर्पण

दिन की शुरुआत सिंधिया ने लव-कुश मंदिर में पूजा-अर्चना से की और फिर प्रवास का हर क्षण जनता को समर्पित किया। शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास की सौगातों के साथ उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि नेता होने का अर्थ सेवा करना है, और सेवा का अर्थ सिर्फ़ संवेदना और सहयोग है।


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