दी जाएगी अनिवार्य सेवानिवृति
इंदौर। राज्य सरकार के एक आदेश से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भड़क गए हैं। मध्यप्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर नो वर्क, नो पे के आधार पर कर्मचारी को वेतन नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं टारगेट पूरा नहीं करने पर कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृति देने की बात भी सरकार ने आदेश में कही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार के इस आदेश की तुलना आपातकाल से की है।
परिवार नियोजन अभियान के तहत हर साल जिलों को कुल आबादी के 0.6 फीसदी नसबंदी ऑपरेशन का हेल्थ विभाग द्वारा टारगेट दिया जाता है। प्रदेश में मात्र 0.5 प्रतिशत पुरूष नसबंदी के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इसी आधार पर सीएमएचओ कार्यालय से आदेश जारी कर कहा गया है कि यदि टारगेट के तहत काम नहीं किया तो अनिवार्य सेवानिवृति के प्रस्ताव भेजेंगे।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का विरोध
सरकार के आदेश के बाद एमपीडब्ल्यू और पुरूष सुपरवाईजरों ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जिले में घर-घर जाकर जागरूकता अभियान तो चला सकते हैं। लेकिन किसी का जर्बदस्ती ऑपरेशन नहीं करवा सकते हैं। इस मामले में भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि मध्यप्रदेश में आपातकाल लगा हो और संजय गांधी की चौकड़ी अपने नियम बनाकर शासन चलाने का प्रयास कर रही हो।


