शिवपुरी। हवाई पट्टी के निकट नर्सरी ग्राउंड आजकल भक्ति, आध्यात्म और सनातन एकता के विराट संगम का केन्द्र बना हुआ है। श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से आरंभ हुई श्रीमद् भागवत कथा ने शिवपुरी को मानो एक दिव्य आध्यात्मिक धाम में बदल दिया है। कथा के प्रथम ही दिन महाराजश्री ने जातिवाद और छुआछूत से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद और हिंदू एकता का संदेश दिया। मंच पर वाल्मीकि समाज सहित साधु-संतों का सम्मान कर आस्था के इस महाआयोजन को समरसता का चरित्र प्रदान किया। कथा के दूसरे दिन आज भक्तों का अभूतपूर्व सैलाव उमड़ा। भागवत कथा में पं. धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने गंगा के दोनों रूपों भागीरथ गंगा और भागवत गंगा की तुलना करते हुए अनेक उदाहरणों से सिद्ध किया कि भागवत गंगा सर्वश्रेष्ठ है। एक ओर भागीरथ गंगा जहां गंगा सागर में मिलती हैं वहीं भागवत गंगा सीधे प्रभु से मिलाती है। इसके अलावा कथा यजमान श्रीमती ऊषा–रामप्रकाश गुप्ता तथा श्रीमती शिल्पी–कपिल गुप्ता (कपिल मोटर्स परिवार, शिवपुरी) ने वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य श्रीमद् भागवत कथा का विधिवत पूजन-अर्चन किया और पूज्य पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
पं. शास्त्री जी ने भागवत कथा के भा-ग-व-त के चार अक्षरों की आध्यात्मिक व्याख्या कर भक्तों को भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग की ओर प्रेरित किया। उन्होंने शिवपुरी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि शिव का नाम छिपा है शिवपुरी में… यहां की गुफाएँ, धरोहरें, बाणगंगा, चिंताहरण, खेड़ापति हनुमान जैसे स्थल इसे स्वयं भगवान की प्रिय भूमि बनाते हैं। दूसरे दिन कथा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाराजश्री ने भागीरथ गंगा और भागवत गंगा की तुलना करते हुए कहा कि भागवत गंगा तन, मन ही नहीं जीवन को पवित्र करती है और सीधे प्रभु के सान्निध्य में ले जाती है। कथा-पूर्व आरती का सौभाग्य शहीद गौरव सेंगर के परिवार को दिया गया, जिन्हें मंच से विशेष सम्मान मिला। पं. शास्त्री ने कहा कि जब देश की रक्षा करने वाले जागते हैं, तब हम चैन से सो पाते हैं, परंतु शहीदों के सम्मान की वास्तविक कीमत अभी भी राष्ट्र को समझना है। अपने प्रवचन में पं. शास्त्री जी ने हनुमान जी की सहजता, विनम्रता और भक्ति को आदर्श बताते हुए कहा कि भगवान चतुराई से नहीं, सरलता से मिलते हैं। सीताराम नाम का स्मरण जीवन को पवित्र और सुफल बनाता है। उन्होंने बाबर पर काव्यात्मक प्रहार करते हुए कहा कि कब्र से उठकर देख लो बाबर, मंदिर वहीं बनाया है। शिवपुरी की ऐतिहासिक गौरवगाथा का उल्लेख करते हुए महाराजश्री ने नरवर किले, नल-दमयंती की कथा और तात्याटोपे की वीरता को नमन किया। अंत में उन्होंने शिवपुरी से बड़ी अपेक्षा जताई कि मेरी इच्छा है कि शिवपुरी भक्ति की नगरी बने। हर घर पर भगवा ध्वज फहराया जाए, ताकि यहां भी अयोध्या जैसा दिव्य दृश्य निर्मित हो। 27 नवंबर को इसी कथा स्थल पर दिव्य दरबार लगाया जाएगा, जिसके लिए पूरे जिले में अद्भुत उत्साह नजर आ रहा है।


